बलिया : कुकुरमुत्तो की तरह फ़ैल रहे है बेल्थरा रोड़ में झोला छाप डाक्टर
संजय ठाकुर
बलिया : जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों की तादात लगातार बढ़ती ही जा रही
है, मात्र चंद रुपये कमाने के चक्कर मे ये गरीब जनता के साथ ज़िन्दगी और मौत का खेल करते रहते
है, और चंद रुपये की दवाइयों को महंगे से महंगे दामों में देते है, जिससे
मजबूरी में गरीब जनता को लेना ही पड़ता है, मना करने पर वही दवा मेडिकल पर
लेने को भेज देते है, वहां से फिर कमीशन खा कर पचा लेते है. इस पर
प्रशासन ऐसे चुप्पी धारण किये हुवे है कि मानो कुछ पता ही नही है.
है, मात्र चंद रुपये कमाने के चक्कर मे ये गरीब जनता के साथ ज़िन्दगी और मौत का खेल करते रहते
है, और चंद रुपये की दवाइयों को महंगे से महंगे दामों में देते है, जिससे
मजबूरी में गरीब जनता को लेना ही पड़ता है, मना करने पर वही दवा मेडिकल पर
लेने को भेज देते है, वहां से फिर कमीशन खा कर पचा लेते है. इस पर
प्रशासन ऐसे चुप्पी धारण किये हुवे है कि मानो कुछ पता ही नही है.
जिले में इन झोला छाप डाक्टरों की मुख्य मंडी के तौर पर बेल्थरा रोड क्षेत्र है. जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी पर होने के कारण इन झोला छाप डाक्टरों को अपनी जेब भरने के लिए सही जगह मिल गई है. इनका एक ही काम है, लूटो खाओ मस्त रहो. भले ही इससे आम निरीह जनता मरती रहे मगर इनको तो अपनी रोटिया सेकना है।
यही नहीं जिन्हें हम भगवान का रूप मानते है,वही हमारे साथ शैतान जैसा खिलवाड़
करते है ज्यादा पैसे के चक्कर मे जनता से झूठ
तक बोलते है कि मरीज़ को फलनवा गंभीर बिमारी है. अब दवा लिख रहे है आप जाकर धिमकाना मेडिकल स्टोर से ले लेना और कह देना कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट करने को कहा है. अब अपने मरीज़ को गंभीर बीमारी का गम लिए डाक्टर साहेब को लाखो दुआ देता मरीज़ का तीमारदार मेडिकल स्टोर जाता है और वहा कहता है कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट को कहा है. मेडिकल स्टोर वाला भी सेट होता है. 100 रुपयों की दवा 200 में देकर 25 रुपया डिस्काउंट कर देता है. तीमारदार भी खुश हो जाता है कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट करवा दिया उसको क्या पता कि डाक्टर साहेब ने उसका जेब काट लिया है और अपना जेब भर लिया है.
करते है ज्यादा पैसे के चक्कर मे जनता से झूठ
तक बोलते है कि मरीज़ को फलनवा गंभीर बिमारी है. अब दवा लिख रहे है आप जाकर धिमकाना मेडिकल स्टोर से ले लेना और कह देना कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट करने को कहा है. अब अपने मरीज़ को गंभीर बीमारी का गम लिए डाक्टर साहेब को लाखो दुआ देता मरीज़ का तीमारदार मेडिकल स्टोर जाता है और वहा कहता है कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट को कहा है. मेडिकल स्टोर वाला भी सेट होता है. 100 रुपयों की दवा 200 में देकर 25 रुपया डिस्काउंट कर देता है. तीमारदार भी खुश हो जाता है कि डाक्टर साहेब ने डिस्काउंट करवा दिया उसको क्या पता कि डाक्टर साहेब ने उसका जेब काट लिया है और अपना जेब भर लिया है.
अब यदि कोई सच में बड़ी बिमारी का मरीज़ आ जाता है तो भी डाक्टर साहेब उसको चुना लगाने से बाज़ नहीं आते है और कहते है कि जैसी मशीनों की आवश्यकता इनको है वैसी मेरे पास नहीं है आप ये दवा ले जाओ अभी और कल फलनवा अस्पताल में दिखा लेना ये पर्ची दे रहा हु उनको दे देना तो डिस्काउंट हो जायेगा. मरीज़ और उसके घर वालो को क्या पता कि उस अस्पताल में मरीज़ भेजने का कमीशन डाक्टर साहेब को अलग से मिलेगा. वह जाता है तो पहले सम्बंधित अस्पताल उससे डाक्टर साहेब का कमीशन ले लेते है फिर खुद की पाकेट भरते है.