पत्रकार ए0 जावेद के जन्मदिन पर विशेष : फर्श से अर्श तक का मेरे भाई का सफ़र

शाहीन बनारसी

वाराणसी। चेहरे पर तेज़, गरीब मज़लूमो की आवाज़ बनना, किसी जन समस्या के मुद्दे को बेबाकी से उठाना। आज ए0 जावेद वाराणसी में हिंदी पत्रकारिता का एक परिचित सा नाम है। शहर के उस इलाके में बेबाकी से जनता की आवाज़ को उठाना जिस इलाके में अपराध संरक्षण पा जाता था, उसी इलाके में रहकर मुद्दों की बात करना एक जिगरे का काम होता है। आज मेरे बड़े भाई ए0 जावेद का जन्मदिन है। तोहफे तो उनको काफी मिल रहे होंगे। आज मैंने सोचा कि अपने भाई को कुछ अनोखा तोहफा दूँ। सोचा उनके ज़िन्दगी में यहाँ तक के सफ़र पर कुछ रोशनी डाली जाए।

ए0 जावेद लोहता क्षेत्र के मूल निवासी है। पिछले आधा दशक से वह नई सड़क इलाके में रहते है। वर्ष 2015 तक ए0 जावेद को दुनिया जावेद नाम से जानती थी, एक अल्हड मस्त युवक के तौर पर। जो दिन भर भवनों का निर्माण कार्य अपने देख-रेख में करवाता और शाम को थोडा घूम फिर कर परिवार के साथ खाना खाकर सो जाना, यह लगभग रोज़ की दिनचर्या थी। हाथो में उस समय डिस्कवर 125 की हैडल रहती थी। शरीर पर नित नए फैशन के कपडे। एक मॉडल जैसे रूप रंग में रहने वाले हमारे बड़े भाई जावेद की ज़िन्दगी में कोई हलचल नही थी।

फिर वो दिन आता है जब उनके ज़िन्दगी में बदलाव का वक्त आता है। कृष्णा बनकर घुमने वाले मेरे बड़े भाई जावेद की ज़िन्दगी में वह हुआ जिसने उनकी ज़िन्दगी को कृष्णा से क्रांतिकारी बनने का सफ़र शुरू हुआ। उनके लोहता क्षेत्र में कुछ दबंगों ने मिलकर एक युवक की जमकर पिटाई कर दिया था। स्थानीय पुलिस ने दबंगो का शांति भंग में केवल चालान कर दिया था। ऐसा इस कारण हुआ था कि उन दबंगों की पैरवी एक नेता द्वारा हो रही थी। इस घटना ने हमारे जावेद भाई के दिल में काफी गहरा सदमा पहुचाया। यहाँ से उनकी सोच का तरीका बदलने लगा। उन्होंने ज़िन्दगी को नए सिरे से देखने की कोशिश किया और कुछ समाज के लिए करने की ठानी।

यहाँ से शुरू होती है उनकी तलाश। उनको तलाश थी एक ऐसे गुरु कि जो उन्हें सिखा सके। कहते है कभी-कभी खेलते-खेलते भी खज़ाना मिल जाता है। ऐसा ही हुआ हमारे जावेद भाई के साथ। गुरु की तलाश में भटकते जावेद भाई की तलाश पूरी भी हुई तो शाहिद भाई के बिरयानी की दूकान पर, जहाँ उनकी पहली मुलाकात उनके गुरु तारिक़ आज़मी से हुई। जावेद भाई की माने तो चंद मिनट ही बात करने में अहसास हो गया कि इस इंसान के अन्दर मेरे गुरु बनने की सब खूबियाँ है। यहाँ से शुरू हुई मेरी उनके साथ जुड़ने की जद्दोजेहद। जावेद भाई बताते है कि इसके बाद से जब भी वो तारिक़ आज़मी से जुड़ने की बात करते तो वह बातो-बातो में बात को टाल जाते। फिर उन्होंने आखिर एक दिन एक फार्म रखा और उसके ऊपर दस्तखत करवाया।

जावेद भाई के ए0 जावेद बनने का ये पहला कदम था। ये फार्म इंटर की परीक्षा का था। पढाई की आदत छुट जाने के बाद फिर से पढना अब मज़बूरी थी। आखिर परीक्षा हुई और वह इंटर पास कर गए। यहाँ उनकी ज़िन्दगी में एक और टर्न आया जो उनको उनके रास्ते की तरफ लेकर गया। जावेद भाई बताते है कि वह तारिख याद है मुझको आज भी, तारिख थी 2016 की अक्टूबर 16। तारिक़ भाई को गर्दन में भारी दर्द थी और वह गाडी नही चला पा रहे थे। जय गुरुदेव के सभा में उसी दिन भगदड़ से 25 लोगो की मौत हो चुकी थी। पूरा शहर जाम था। मेरे पास मेरे गुरु का पहला फोन आया और उन्होंने मुझे बुलाया था। मैं लगभग गाडी लेकर भागता हुआ गया था। वो मुझे लेकर राजघाट पुल पर पहुंचे। जहाँ पैर रखने की जगह नही थी। यहाँ मैंने ज़िन्दगी में पहली बार पत्रकार के तौर पर फोटो खीचा था। मेरी लगन से हमारे गुरु खुश हुए और उन्होंने मेरा मार्ग दर्शन करना उसी दिन से शुरू किया।

एक अल्हड मस्ती में रहने वाला कृष्णा के रूप में मौज मस्ती करने वाला युवक जावेद ए0 जावेद बन चूका है। इसके लिए वह अपने गुरु तारिक़ आज़मी को पूरा श्रेय देते है। वह कहते है कि मेरे गुरु ने मुझे तराशा है, मेरे गुरु ने मुझको आम से ख़ास बनाया है। उन्होंने मुझको उंगली पकड़ कर चलना सिखाया है। समाज में एक अलग पहचान बनाया है। सीधे कहूँ तो मेरे गुरु मेरा स्वाभिमान है। वही तारिक आज़मी ने कहा कि “बेशक जावेद जैसा अनमोल रत्न काफी मुश्किल से मिलता है। टेढ़ा है, पर मेरा है।”

आज जावेद भाई ए0 जावेद हो चुके है। शाहीन बनारसी को भी फक्र है कि ए0 जावेद उसके भाई है। वैसे तो हर भाई अपनी बहन का हीरो होता है। मगर बेशक अल्लाह दुनिया की हर एक बहन को ऐसा भाई दे। अल्लाह मेरे जावेद भाई को लम्बी उम्र दे, उन्हें तरक्की और कामयाबी अता करे। अल्लाह उनको दुनिया की सभी खुशियाँ नसीब करे। जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाये।

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