मो0 नदीम की कलम से
“पापा कहते है बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा”
हर माता पिता यही चाहते है की उनका बेटा पढ़ लिखकर देश में उनका नाम रोशन करे लेकिन हमारे देश में ऐसे माँ बाप भी है जिनके बच्चों को पढ़ना तो दूर की बात है दो वक़्त की रोटी ही मिल जाए तो बहोत बड़ी बात है
ऐसे ही बच्चे पेट की आग बूझाने के लिए बाल मजदूरी करने पे विवश है जिन बच्चो की उम्र पढ़ने लिखने खेलने कूदने की है वही मजबूर बच्चे रिक्शा खीचते या दूसरे के झूठे बर्तन साफ़ करते सेंट्रल स्टेशन घण्टाघर के आस पास नज़र आ जाएंगे
अभी तक आपने मासूम बच्चों को रिक्शा खीचते या चाय की दुकानों पर काम करते हुए देखा होगा लेकिन अब बाल मजदूरी शहर के प्रतिष्ठित गेस्ट हाउसो तक पहुच गई है
कानपुर के नामी गेस्ट हॉउसो में धड़ल्ले से सरे आम बाल मजदूरी कराई जा रही है बर्रा, शास्त्री चौक,रावतपुर,किदवई नगर,बेकन गंज माल रोड, सिविल लाइन, आदि कई क्षेत्रो में बाल मजदूरी का जाल फैला हुआ है कानपुर शहर के अधिकाँश गेस्ट हाउसों में ये मासूम बच्चे लोगो का झूठा उठाते हुए देखे जा सकते है बच्चों से मजदूरी करवाने की सबसे बड़ी वजह है बच्चों का बड़े कर्मचारियों के मुकाबले कम पैसो में काम करना इसी कारण ये बच्चे गेस्ट हाउसों की पहली पसंद बन चुके है मजे की बात तो ये है शहर के प्रतिष्ठित गेस्ट हॉउस के कार्यक्रम में आने वाले शहर के प्रतिष्ठित मेहमानो की भी नज़र इन बाल मजदूरो पर कभी नहीं पड़ी या फिर इन मासूमो को देख कर अनदेखा कर दिया गया भला हो हमारे देश के सम्बंधित विभाग के अधिकारियो का जिनकी अपार कृपा दृष्टि की वजह से ही शायद गेस्ट हाउसों में बाल मजदूरी का मकड़ जाल फल फूल रहा है अभी तक किसी भी गेस्ट हॉउस के खिलाफ सम्बंधित विभाग के एरिया इंस्पेक्टर ने कोई भी कार्यवाही नहीं की है इससे तो यही लगता है की इन गेस्ट हाउस को सम्बंधित विभाग का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है
वही दूसरी तरफ देश की कई ऐसी संस्थाये है जो गला फाड़कर बाल मजदूरी ख़त्म करो का नारा लगाती हुई नज़र तो आती है लेकिन मासूमो का बचपन बर्बाद कर रहे समाज के ऊचे ठेकेदारो के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करती नज़र नहीं आती ऐसी संस्थाओ का होना ना होने के बराबर है बहरहाल अगर जल्द ही बाल मजदूरी रूपी महामारी को ना रोका गया और सरकार ने जल्द ही अगर कोई पुख्ता कदम ना उठाये तो देश के मासूमो का भविष्य किसी अँधेरे कुए में जाकर खो जायेगा