वाराणसी। तारिक़ आज़मी। जिला कचहरी के गेट नंबर 1 पर फैमली कोर्ट के पास शनिवार को लावारिस बैग के अंदर बम मिलने के बाद हड़कंप मच गया। जिसकी सूचना पुलिस को मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी, बम डिस्पोजल दस्ता और डॉग स्क्वॉयड टीम के साथ मौके पर पहुंच गए और गहन तलाशी के बाद बम को डिफ्यूज करने की कोशिश की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार कुछ देर पहले वहीं दो और बम मिलने की सूचना प्राप्त हुई है, जिसमे सतर्कता की दृष्टि से पुरे कचहरी को अधिवक्ताओ और वादकारियो से पुलिस ने खाली करवा दिया है और पुरे कचहरी परिसर की गहनता के साथ जाँच की जा रही है। वही मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला जज ने आज के मुकदमो की सुनवाई को टालते हुए मुकदमो की सुनवाई सोमवार को करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि इसके पूर्व में भी 7 मार्च, 2006 व 23 नवंबर 2007 को और 2006 में भी वाराणसी के संकट मोचन और कैंट स्टेशन पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 30 से ज्यादा लोगो की मौत भी हो चुकी है। इसी प्रकार 2007 में भी वाराणसी के सिविल और कलेक्ट्रेट परिसर में ब्लास्ट हुए थे, जिससे पूरा बनारस थर्रा उठा था।
23/11 की घटना लील गई थी नौ लोगों को
वो 23 नवंबर 2007 की घटना के घाव फिर हरे हो गए। वो घटना जिसमें नौ लोगों की जान गई थी और 50 से ज्यादा जख्मी हुए थे। पूरा शहर चीत्कार मार रहा था। हर अस्पताल, नर्सिंग होम घायलों से पटे पड़े थे। चारों तरफ रोना-पीटना मचा था। दूर दराज से अपने केस के सिलसिले में आए लोगों के परिजनों को जैसे-जैसे कचहरी ब्लास्ट की जानकारी हुई वे भागे-भागे कचहरी पहुंचे, वहां परिजन नहीं मिले तो अस्पतालों की तरफ रुख किया। कोई शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल पहुंचा तो कोई मलदहिया के एक निजी नर्सिंग होम तो कोई बीएचयू। कुछ ऐसे भी थे जो अन्य निजी अस्पतालों की ओर भागे। अस्पतालों में सिर्फ और सिर्फ करुण क्रंदन था।
सुरक्षा के सारे दावे तार-तार
23/11 की घटना के बाद कचहरी की मुकम्मल सुरक्षा की सारी योजनाएं तार-तार हो चुकी हैं। कहने को मेटल डिटेक्टर तो लगे हैं मगर काम नहीं करते है। सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हो रही है। वह तो पूर्व डीएम प्रांजल यादव ने कचहरी के दक्षिणी द्वार से वाहनों के आवागमन पर रोक लगाई दी तो वह कुछ हद तक सफल है। लेकिन इसके अलावा कहीं से कोई भी कभी भी कहीं भी जा सकता है। बड़ी आसानी से अंजाम दे सकता है। यह आज बम मिलने से एक बार फिर साबित हो गया।
सुरक्षा में सेंध हेतु अधिवक्ता भी है ज़िम्मेदार।
यदि सुरक्षाकर्मियों और सूत्रो की माने तो अधिवक्ता का एक वर्ग जाँच के नाम पर भड़क जाता है। जाँच करने वाले कर्मियो से ही उलझ पड़ते है। अक्सर हलकी फुलकी नोक झोक देखने को मिलती है।
ज़िले में जारी हुवा अलर्ट:-
वही पुरे वाराणसी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और विश्वनाथ मंदिर सहित वाराणसी के प्रशिद्ध मन्दिर में भी जाँच पड़ताल की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बम डिस्पोजल दस्ता ने परिसर से मिले बम को निष्क्रिय कर दिया है और बमों की तलाश की जा रही है। वही मौके पर जिलाधिकारी राजमणि यादव, आई जी ज़ोन एस के भगत, एस एस पी आकाश कुल्हारी सहित भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।