सभी सरकारे जानती है कि भारत गांवो मे बसता है ओर सभी सरकारो को पता है कि ग्रामीण इलाके के नागरिको को यात्री परिवहन सेवा देने मे उनकी सरकार नाकाम रही है ऐसे मे ट्रेक्टर & ट्राली ही देश की 60% ग्रामीण आबादी का ना सिर्फ परिवहन माध्यम है बल्कि मंहगाई के इस दौर मे आज भी बारात के लिऐ ट्रेक्टर – ट्राली सहज किफायती माध्यम है मोदी सरकार पुराने कानून बदलने का दावा कर रही है बकौल पीएम मोदी वे रोज दो चार कानून बदल रहे है । मेरा पीएम मोदी सहित देश भर की सरकारों से यह निवेदन है कि ट्रेक्टर & ट्राली को महज कृषी उपकरण मे शामिल ना कर उसे व्हीकल का दर्जा दिया जाये
क्योकि आज भी ग्रामीण भारत मे सबसे ज्यादा यात्री परिवहन का माध्यम ट्रेक्टर ट्राली ही है लिहाजा हादसे का शिकार भी यही ट्रेक्टर ट्राली होती है मगर बेहद कम लोगो को पता होता है कि ट्राली ओर ट्रेक्टर मे चालक को छोडकर किसी को हादसा होने पर क्लेम नही मिलता है ना मृत्यू होने पर ना गंभीर घायल होने पर क्योकि कानूनन ट्राली एक कृषी उपकरण माना गया है ओर ट्रेक्टर के चालक को क्लेम मिल सकता है हालाँकि समझदार वकील ट्राली मे बैठै हादसे का शिकार बने लोगो को सडक पर खडा बताकर लाभ दिलवाने का प्रयास करते है मगर कहानी कभी फ्रेम मे फिट होती है तो कभी नही भी होती है । मेरा निवेदन यह है कि अगर सरकारे अपने ग्रामीणों को सस्ता – सुलभ परिवहन उपलब्ध नही करवा सकती तो कम से कम ग्रामीणों के सबसे सस्ते माध्यम ” ट्रेक्टर संग ट्राली ” को हादसे की सूरत में ” क्लेम मटेरियल” मानने का कानून बना दे ताकी हादसे में शिकार हुऐ गरीब ग्रामीणो ओर उनके परिवारों को राहत मिलने लगे । साथ ही इस कानून में भी संशोधन किया जाये कि अगर कोई वाहन एक्सीडेंट कर जाये जिसकी पहचान नही हो पाये तो पीडित को राहत मिल सके । अभी कानून यह है कि अगर आपने वाहन नंबर हादसे के वक्त लिखा दिया तो क्लेम कानून लाभ मिल जायेगा लेकिन वाहन आप पहचान नही पाये तो कोई लाभ नही । थादंला रोड का बीपीएल नागरिक राजू के छोटे बेटे कोई कोई अज्ञात वाहन टक्कर मारकर 3 महीने पहले जख्मी कर गया उसे बचाने ओर फिर से पैरो पर खडा करने के लिए राजू को जमीन बेचनी पडी । अब वह क्लेम लगाये तो किस पर लगाए ? यह बुनियादी ओर प्रेक्टीकल बाते है जिस पर संसद मे बहस होनी चाहिए लेकिन अफसोस संसद मे बहस होती है इशरत ओर कन्हैया पर ।