भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल की दोस्ती परवान चढ़ने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद इस मुद्दे पर बातचीत आगे बढ़ेगी। पहले राउंड में सीटों के बंटवारे पर फैसला होगा। भाजपा यूपी में रालोद को 20 से 25 सीटें देने को तैयार है।
वहीं, रालोद चाहता है कि भाजपा उसे पश्चिमी यूपी में 35 सीटें दे और प्रदेश के दूसरे हिस्सों में उसके लिए तीन-चार सीटें छोड़े। दोनों दलों के बीच कुछ सीटों को लेकर जद्दोजहद होगी। दोनों तरफ से लचीचा रुख दिखाने के बाद बातचीत आगे बढ़ सकती है।
प्रदेश भाजपा के नेता इस गठबंधन को लेकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, अलबत्ता पश्चिमी यूपी के कुछ भाजपा नेता जरूर गठबंधन के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि रालोद से गठबंधन के बाद भाजपा मजबूत होगी।
अगर भाजपा में विलय हुआ तो मिलेगा आकर्षक ऑफर
जनता दल यू और राष्ट्रीय लोकदल का विलय करके नए दल के गठन की कवायद बंद हो चुकी है। अब भाजपा के साथ रालोद की बातचीत चल रही है। भाजपा चाहती है कि चौधरी अजित सिंह गठबंधन के बजाय रालोद का भाजपा में विलय कर दें।
इसके बदले उन्हें आकर्षक ऑफर दिया गया है। हालांकि अजित विलय के बजाय गठबंधन के पक्षधर हैं। उन्होंने भाजपा के कुछ नेताओं से यह बता भी दिया है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने गठबंधन के मुद्दे पर बातचीत जारी रखने का संकेत दिया है, लेकिन निर्णायक वार्ता 19 मई को पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद होगी।
उससे पहले कुछ मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए दूसरी पंक्ति के नेताओं के साथ बातचीत जारी रह सकती है।
‘रालोद के पास भाजपा के साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं’
भाजपा से गठबंधन के मुद्दे पर रालोद कार्यकर्ताओं की राय जुदा-जुदा है। कुछ कार्यकर्ता जहां भाजपा के साथ गठबंधन के पक्षधर हैं, वहीं कई इसके विरोध में हैं।
गठबंधन के पक्षधर कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट-मुस्लिम गठजोड़ टूटने के बाद रालोद को भाजपा के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
वहीं, दूसरे लोगों का मानना है कि रालोद को परंपरागत किसान-मुसलमान समीकरण को बरकरार रखने के लिए काम करना चाहिए। वे इसे लंबी राजनीति के लिए जरूरी मानते हैं।