गाजीपुर। शाहनवाज़ अहमद। अंसारी बंधुओं को लेकर जहां सपा में उतावलापन है वहीं बसपा में बेचैनी। सपा चाहती है कि अंसारी बंधुओं की पार्टी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा जल्द हो। सूत्रो के अनुसार इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव फोन पर बात भी किए लेकिन शायद अफजाल अंसारी इस अहम फैसले पर जल्दबाजी में नहीं हैं। उन्होंने शिवपाल यादव से कहा है कि पहले वह अपने लोगों से इस अहम मसले पर राय मशविरा करेंगे। इस सिलसिले में 18 जून को उन्होंने यूसुफपुर मुहम्मदाबाद स्थित अपने आवास पर कौएद की बैठक बुलाई है।
बैठक में कौएद के जिलाध्यक्षों, मंडल प्रभारियों को बुलाया गया है। उसमें तय होगा कि सपा को लेकर कौएद क्या कदम उठाए। चुनावी समझौतों की शर्त पर विचार होने की संभावना है। उधर अंसारी बंधुओं के सपा के करीब जाने के हर घटनाक्रम पर बसपा की नजर है। अब तक बसपा मान रही थी कि अंसारी बंधु आखिर में फिर से नाता जोड़ना चाहेंगे लेकिन इसी बीच सपा नेताओं से उनकी गुफ्तगूं की खबर बसपा नेताओं को बेचैन कर दी है। खबर है कि बसपा के नीचे के नेता इस कोशिश में हैं कि अंसारी बंधुओं के मामले में पार्टी विचार करे। इसके लिए नीचे के नेता ऊपर के नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने में लगे हैं। ताकि बात पार्टी सुप्रीमो तक जाए। उनका कहना है कि अंसारी बंधु बसपा में फिर जुड़ते हैं तो पूर्वांचल में उसका लाभ मिलेगा। अंसारी भाइयो के आने से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पार्टी के प्रति आकर्षित होंगे। हालांकि आखिरी फैसला तो बसपा सुप्रीमो मायावती को करना है लेकिन यह जरूर गौर करने की बात है कि वर्ष 2010 में बसपा से निकाले जाने के बाद उसके लिए अंसारी बंधुओं की जुबान तल्ख कभी नहीं रही। बल्कि, उनकी आपसी बातचीत में बसपा सुप्रीमो के प्रति सम्मान ही प्रकट होता रहा। बहरहाल, बसपा नेताओं की कवायद का क्या नतीजा मिलेगा यह आगे पता चलेगा लेकिन यह जरूर माना जा रहा है कि सपा से उनकी करीबी परवान चढ़ेगी। यह ठीक है कि अंसारी बंधुओं को सपा से सियासी लाभ पाने की हाल-फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिखती लेकिन संभवतः सपा को एहसास है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अंसारी बंधुओं का लाभ उसे मिल सकता है। शायद यही वजह है कि अफजाल अंसारी की सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से अकेले में बात हुई। उसके पहले राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव से भेंट हुई। उनके अलावा कुंवर रेवती रमणसिंह, बलराम यादव, अंबिका चौधरी, नारद राय आदि उन्हें सपा में वापस लेने की पैरवी में जुटे हैं जबकि राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर तो शुरू से अंसारी बंधुओं को पार्टी में लेने की वकालत करते रहे हैं। और सपा से नाता जोड़ने को कहते है।
आपको बताते चले कि पूर्वांचल में अंसारी बंधुओ की अल्पसंख्यक समुदाय में पकड़ जहा मज़बूत है वही दलित समुदाय में भी इनकी पकड़ बढ़ती जा रही है। अभी इसी वर्ष गुज़रे पंचायत चुनाव में कौमी एकता दल ने अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज करवाई है। इसी कड़ी में चंचल की जीत दल के लिए एक बड़ी उपलब्धी थी। पाठको के संज्ञान हेतु हम याद दिला दे कि PNN24 न्यूज़ ने आपको पहले ही बताया था कि “जेल से रिहा होकर मुख़्तार अंसारी लिख सकते है पूर्वांचल की राजनीति में नई इबारत।” इसी कड़ी में चंचल की जीत ने “पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी बंधू के बढ़ते कद पर मुहर लगाई थी।”
आपको बताते चले कि यदि क्षेत्रिय राजनीत की बात करे तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की पहली पसंद पूर्वांचल की अफ़ज़ाल अंसारी ही रहे है। अपने एक वक्तव्य में स्वयं मुलायम सिंह यादव ने अफ़ज़ाल अंसारी को पूर्वांचल का गांधी कह कर संबोधित किया था। विपक्ष भी अफ़ज़ाल अंसारी के राजनैतिक सूझ बुझ का लोहा मानता है।