गाजीपुर। अंसारी बंधुओं के सपा से फिर कायम हुए रिश्ते में गर्मजोशी तो दिख रही है। जहां अंसारी बंधुओं के लोग उत्साहित दिख रहे हैं वहीं सपाई भी शीर्ष नेतृत्व के इस कदम से खुश हैं लेकिन सवाल उठ रहा है कि इस नए रिश्ते का आकार-प्रकार कैसा होगा। क्या अंसारी बंधुओं की अगुवाई वाले कौएद का सपा में विलय करेगा कि विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच समझौता होगा। इस सवाल पर फिलहाल कोई कुछ बोल नहीं रहा है। बस कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोग मान रहे हैं कि कौएद का सपा में विलय होगा।
उस पल का गवाह एक बार फिर यूसुफपुर कृषि मंडी का मैदान बन सकता है। मालूम हो कि सन् 1996 में अफजाल अंसारी जब भाकपा छोड़ सपा का दामन थामे थे तब उन्होंने यूसुफपुर कृषि मंडी के मैदान में बड़ा जलसा किया था। उसमें सपा सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव आए थे। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो। हालांकि एक बात लगभग तय मानी जा रही है। विरोधियों के हमले से बचने के लिए सपा मुख्तार अंसारी को घोषित रूप से पार्टी में लेने से परहेज करेगी। उस दशा में संभव हो कि कौएद से राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अंसारी व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण करें और कौएद की कमान मुख्तार अंसारी संभालें। कौएद अपने प्रभाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में सपा को समर्थन देगा तब मुख्तार लखनऊ होंगे शिफ्ट तब यह भी हैरानी नहीं कि सपा से फिर जुड़ने के बाद मुख्तार अंसारी को आगरा जेल से लखनऊ की जेल में शिफ्ट किया जाए। इसके लिए मुख्तार पहले भी कई बार कोशिश कर चुके हैं। आइये आप को ये भी बताते चले कि तक़रीबन तीन साल पहले सपा सरकार मुख्तार अंसारी को गाजीपुर जेल वापस भेजने से साफ मान कर दीया थी। अलबत्ता, लखनऊ जेल में शिफ्ट करने पर सहमति जतायी थी । लेकिन लोकसभा चुनाव सहित अन्य मसलों पर तल्खी के कारण सरकार की सहमति जहां की तहां रह गई थी। मालूम हो कि भाजपा विधायककृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार जेल में निरुद्ध हैं।