नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावों में काफी वक्त हैं। लेकिन हाल ही में इलाहाबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने अपने इरादे जता दिए। उन्होंने कहा कि जनता ने जिन उम्मीदों के साथ भरोसा जताया है। उसे पूरा करने के लिए हमें अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। हम अपने कार्यक्रमों की कामयाबी पर जश्न मना सकते हैं। लेकिन इस एहसास के साथ सबको आगे बढ़ना होगा कि सफलता की कारवां पर हमारी नासमझी कहीं ब्रेक न लगा दे। जनता की उम्मीदें जितनी ज्यादा होती है। सत्ता पक्ष के लिए जिम्मेदारी उतनी ही बढ़ जाती है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि आज हम जबरदस्त कामयाबी की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में बहुत सतर्क रहने की जरुरत है। कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कामयाबी के 7 ‘एस’ का मंत्र भी दिए।
पीएम के सात मंत्र
सेवाभाव
संतुलन
संयम
सकारात्मकता
समन्वय
संवेदना
संवाद
पीएम ने कहा कि ये सब महज कुछ शब्द नहीं हैं। बल्कि जीने का तरीका है। लोगों से जुड़ने का रास्ता है। आम जन के दिलों में उतरने का सूत्र है। जनसंघ के संस्थापक दीन दयाल उपाध्याय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने चाचा-चाची को खत लिखा। जिसमें उन्होंने कहा था कि क्यों समाज सेवा ही उनकी जिंदगी का मकसद है। अगर दीन दयाल जी की इच्छा नौकरी करने की रही होती तो वो पा सकते थे। लेकिन समाज के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत के साथ उन्होंने राजनीति के संघर्ष भरे रास्ते को चुना। आज हम सबके लिए वो प्रेरणास्रोत हैं।
कांग्रेस का नाम लिए बगैर पीएम ने कहा कि उनके नेताओं की संवेदनहीनता की वजह से कांग्रेस आज हाशिए पर है। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा बीच फर्क बताते हुए कहा कि हमें उपभोग शून्य स्वामी की तरह होना चाहिए। एक ऐसा संत जो अपने फायदे की बात कभी नहीं करता हो। लेकिन जब हम लालच के फेरे में आते हैं तो कमियों का आना स्वाभाविक है। इसका असर आपके प्रदर्शन पर होता है।