● अगर समय से हुवा होता निरिक्षण तो शायद नहीं होती भारी कटान।
अरविन्द कुमार सिंह/अनमोल आनन्द।
आजकल नदियों के द्वारा कटान का काम काफी जोर शोर से चल रहा है जिसका खामियाज़ा नदियों के इर्द गिर्द बसे परिवारो को भुगताना पड़ रहा है। आज क्षेत्रीय अधिकारी काफी एलर्ट है अपने ड्यूटी पर, आये दिन दौरा किया जा रहा है बाढ़ग्रस्त क्षेत्रो का कि कहीं पानी किसी को नुक्सान तो नहीं पहुंचा रहा है। इस भयंकर कटान के कारण आज कितना नुकसान हो रहा है ये मिडिया द्वारा आप सबको बताया जा रहा है और प्रशासन व क्षेत्रिय राज नेताओं द्वारा भी आश्वासन पर आश्वासन दिया जा रहा है बाढ़ पीड़ित परिवारों को।
इतना बड़ा नुक्सान नहीं होता अगर समय से…..
एक नजरिये से देखा जाय तो अगर प्रशासन द्वारा निरिक्षण का कार्य उस वक़्त किया गया होता तो आज इतनी कठिन समस्याओं का समाधान नहीं करना पड़ता। जब खनन विभाग द्वारा बालू (रेत) का मनमानी तरीके से कटान कर उसे अपने उपयोग में लाया जाता है। एक मिनी सर्वे के अनुसार खनन बिभाग के सम्बंधित अधिकारियों द्वारा निर्देशीत किया जाता है की इस नंबर से रेत का कटान करना है लेकिन वहीँ खनन माफियाओं की JCB किसी और नंबर पर खूब गरजती है और अपने पेट के आगे दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ कर दिया जाता है और प्रशासन उस वक़्त मुआयना नहीं करती है की आखिर उसी नंबर पर रेत उठाने का कार्य चल रहा है या किसी और पर। अगर उस वक़्त दौरा किया गया होता तो शायद आज बसे गंगा तट के किनारे गरीबों को इतना नुकसान नहीं सहना पड़ता।