राज जायसवाल
मुंबई. रेलवे ने टिकट प्रणाली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए पिछले साल अनारक्षित कटप्रणाली (UTS SYSTEM) पर आधारित मोबाइल टिकट की शुरुआत की थी। मुंबई उपनगरीय ट्रेनों के लिए शुरू की गयी इस योजना को कोई खास रेस्पॉन्स नहीं मिला। अब रेलवे फिर से मोबाइल टिकट योजना को “पुराने” तरीके से शुरू करने पर विचार कर रही है। इस तरीके से मोबाइल से बुक यात्रा के दौरान टिकट का प्रिंट रखना पड़ेगा।
गड़बड़ जीपीएस, मजबूर रेलवे
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मोबाइल टिकट निकालने की शर्तें ही इसे लोकप्रिय होने से रोक रही हैं। टिकट निकालते वक्त ३० मीटर दूर रहो। मोबाइल का जीपीएस ऑन रखो और कई बार मौसम की वजह सेजीआरपी ट्रैक नहीं होता है। ऐसे में इस योजना पर पुनर्विचार करना जरूरी हो गया है।नया दर्द, पुराना मर्जमोबाइल टिकटिंग प्रणाली की जब शुरुआत हुई थी, तब कई स्थानों पर जीपीएस सेट करना था। उस दौरान यात्रियों द्वारा मोबाइल से टिकट बुक किया जाता था। टिकट बुक होने पर एक नंबर मिलता था, जिसे स्टेशन पहुंचने के बाद एटीवीएम में फीड करना पड़ता था और टिकट का प्रिंटआउट लेना पड़ता था। एटीवीएम और मोबाइल टिकट प्रणाली को देखरेख सेंटर फॉर रेलवे इन्फर्मेशन.सिस्टम (क्रिस) करता है। क्रिस ही ही मोबाइल-प्रिंट टिकट को फिर से शुरू करने वाली है।
एक और विकल्प
वेस्टर्न रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोबाइल से टिकट निकालने के बाद यदि फिर से टिकट लेना पड़े तो इस सुविधा का कोई मतलब ही नहीं। अधिकारी के अनुसार वेस्टर्न रेलवे की तरफ से एक सुझाव दिया जाएगा जिसमें मोबाइल पर टिकट का प्रिंट उपलब्ध हो। यानी टिकटमोबाइल द्वारा या एटीवीएम द्वारा बुक करो और मशीन से प्रिंट आउट लेने के बजाय टिकट की कॉपी या कोई एसएमएस मोबाइल पर ही मिल जाए।