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पांच हज़ार साल पहले जहाँ महायोगी ने ली जीवित समाधी –बन गया शक्ति पीठ

दिग्विजय सिंह
कानपुर नगर- इस संसार में मनोभूमि को सुव्यवस्थित, स्वस्थ ,सतो गुणी एवं सन्तुलित बनाने में यदि कोई शक्ति हेै,तो वह एक मात्र वेद माता गायत्री है।इससे सम्बन्ध स्थापित करके मनुष्य अपने जीवन के चरमोत्कर्ष को सहजता से प्राप्त कर लेता है,ईश्वर की अनेक शक्तियॉ है। जिसके कार्य और गुण पृथक-पृथक है, पर इन समस्त शक्तियों में माँ गायत्री का नाम सर्वोच्च है जो मनुष्य को सद्बुद्धि प्रदान करने वाली है। गायत्री उपासको में यह दिव्य शक्ति सदैव सुक्ष्म एवं चैतन्य विधुत धारा के रूप में प्रवाहित होती रहती है। जो मन, बुद्धि, चित्त और अन्तः करण के कल्मषों को निरस्त कर शुद्ध और पवित्र बनाती है। बौद्धिक क्षेत्र में माँ गायत्री के दिव्यप्रकाश से ही दुर्गुणों से मुक्ति मिलती है। यह दिव्याअशं जितना तीव्र होगा अन्धकार का अन्त भी उसी क्रम से होता जायेगा।

—चलो माँ गायत्री के धाम -जहाँ बनते बिगड़े काम—-

संस्कृतिक, धार्मिक ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टि से कानपुर जनपद देश का महत्व पूर्ण अंग रहा है। अपने अंतःकरण में अनेकों रहस्यमयी कथाओं को समेंटेघाटमपुर के बिधनु ग्राम में स्थित यह सिद्धपीठ का इतिहास लगभग साढें चार हजार वर्ष पूर्व एक महायोगी द्वारा जीवित ली गयी महासमाधि स्थल के ठीक उपर उन्हीं की दिव्य प्रेरणा से उनके शिष्य द्वारा भव्य मंदिर स्थापित किया गया था और तभी से यह तपोभूमि कलिकाल का एक अभिनव तीर्थ बन गई,

—कैसा है माँ का दरबार—-

इस सिद्धपीठ में स्थापित भगवती गायत्री के सुन्दर विग्रह के साथ एक अन्य मन्दिर पृथ्वी से 60 फिट की उॅचाई पर 7खण्डो में स्थित है। विशिष्ट अलौकिक शक्ति से आवेष्टित इस भव्य मन्दिर के प्रांगण में अनवरत चलती रहने वाली अखण्ड गायत्री साधना यहाँ आने वाले भक्तों व शिष्यों के लिऐ किसी पुण्यनिधि से कम नही है। इस मन्दिर की दिव्यता को अक्षुष्ण बनाये रखने के लिए ही इसमें जन सामान्य का प्रवेश सर्वथा वर्जित है।गायत्री मॉ की लगभग 5 फिट की श्वेत पत्थर का विग्रह है जिसके उपर एकविशाल रजत छत्र विराजमान है। मुख्य द्वार पूर्वाभिमुख है। और द्वार पर श्री गणेश जी की मूर्ति है। आस-पास बरामदा है। पीछे भैरव जी का मन्दिर, निर्माणाधीन श्री रामदरबार मंदिर  ,धाम के भव्य गेट के अन्दर प्रवेश करते ही दिखाई पड़ने लगता  है। दक्षिण की ओर एक कुऑ है यह स्थान विशाल परिक्षेत्र में व्याप्त है। उत्तर की ओर मॉ गायत्री महाविद्यालय है।

—-महायोगी ने जब ली थी खड़े होकर जीवित समाधी -बना –खडेस्वर धाम—

आध्यात्मिक उर्जा का अतिविशिष्ट केन्द्र एवं परम्पूज्य दादा-गुरूदेव की अखण्ड साधना से फलित असीम शान्ति एवं कल्याणदायक इस दिव्य भूखण्ड को उनके शिष्य महान गायत्री साधक श्री उपेन्द्र जी के पूज्य गुरूदेव द्वारा सन् 1987 में उन्हें किसी दिव्यवाणी ने इस स्थान का परिचय देते हुऐ बताया था कि लगभग साढे़ चार सौ वर्ष पूर्व उनके गुरू यानी उपेन्द्र जी के दादा गुरू ने खडे़ ही खड़े इसी स्थान पर जीवित समाधि ली थी और सम्भवतः इसीलिये यह स्थान ‘खड़ेश्वर’ (वर्तमान खड़ेसर) नाम से प्रचलित हुआ। भूस्तर से ग्यारहफिट नीचे उन महापुरूष दिव्यात्मा की महासमाधि उसके उपर श्री उपेन्द्र जी की प्रस्तावित समाधि के लिए भी निर्मित कक्ष तथा उसके ठीक उपर प्रतिष्ठित आदि शक्ति वेदमाता भगवती गायत्री की प्रतिमा ज्ञान, कर्म एवं उपासना का एक ऐसा संगम है जो अपने में अलौकिक एवं अद्वितीय है। भगवती के दिव्यविग्रह के आलौकिक भावो को प्रातः,सायं एवं रात्रि में भक्तों ने भिन्न-भिन्न रूपों में देखा है।

—-नवरात्रि, व बसंन्त पंचमी,में लगता यहाँ मेला —उपेन्द्र जी महाराज

इस महासिद्धपीठ में पूज्य गुरूदेव श्री उपेन्द्र जी के दिव्य सान्निध्य एवं निर्देशन में दोनों नवरात्रि, बसंन्त पंचमी, गुरूपूर्णिमा,एवं राम विवाह जैसे पवित्र अवसरों पर (रामार्चा) जैसे दिव्य आयोजन प्रायः होते रहते है। यहॉ होनें वाले अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेंलनों में अब तक पच्चीस से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग ले चुके है, जिसमें भारत से श्रीमति इंदिरा गंाधी, श्री मोती लाल बोरा ,श्री बी0सत्यनारायण रेड्डी, राजनाथ सिंह आदि व संत श्री मुरारी बापू के श्री मुख द्वारा श्रीरामकथा रस का अमृतपान भी कई बार भक्तों को मिल चुका है। उपर्युक्त धाम की देख-रेख एवं समय समय पर कार्यक्रमों के आयोजन युगविश्वामित्र श्री गुरूजी महाराज के नेतृत्व में होते ही रहते है।  इस उत्सव मे देश अपितु विदेशों से सैकड़ो कि संख्या में भक्तगण माँ के इस भव्य व सुन्दर कार्यक्रम में शिरकत करतें है श्री उपेन्द्र जी महाराज ने बताया कि 10 अक्तूबर 2016 को उक्त तपोभूमि पर हो रहे महायज्ञ की पूर्णाहूति जन-कल्याण हेतु की होगी जिसमें आप सपरिवार कल्याण हेतु अवश्य पधारकर यज्ञप्रसाद के भगीबन पुण्यनिधि को प्राप्त करें।

—-कैसे पहुंचे माँ के धाम—-

यह स्थान कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन से लगभग 30 कि0मी0 दूर दक्षिण में घाटमपुर से लगभग 10 कि0मी0 पहले बिधनू ग्राम सड़क से मुख्य द्वार (सम्भुआ फाटक) से अन्दर प्रवेश करते हुए 2 कि0मी0 दूर पश्चिम में स्थित है माँ का धाम। यहाँ टैम्पो, बस, कार के माध्यम द्वारा जाया जा सकता है।
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