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मुंबई के प्रमुख समाचार राज जायसवाल के संग, जाने क्यों कहा उद्धव ने के अन्याय के खिलाफ हम सरकार के साथ नहीं है

अन्याय में सरकार का साथ नहीं देंगे:उद्धव ठाकरे

शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर सरकार कोई ऐसा काम करेगी जिससे जनता पर अन्याय हो रहा होगा तो शिवसेना उस काम में सरकार का साथ नहीं देगी। उद्धन कहा कि हम बीजेपी सरकार में शामिल हैं, लेकिन सरकार के गलत कामों में नहीं।

हमारा साथ देने वाली जनता को हम कभी अकेला नहीं छोड़ेगे।ईबीसी का लिया श्रेय गुरुवार को सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए जिन सुविधाओं का ऐलान किया उसके श्रेय खुद लेते हुए उद्धव ने कहा कि शिवसेना के मंत्रियों के प्रयासों के कारण ही यह संभव हो पाया है। यह बात उन्होंने जलगांव में आयोजित सभा में बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि मंत्री पद पाकर शिवसेना की तोप ठंडी नहीं पड़ेगी। शरद पवार पर टिप्पणी मराठा आरक्षण पर दिल्ली में शरद पवार और नरेंद्र मोदी की मुलाकात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि जब शरद पवार सत्ता में थे और सोनिया के घर पानी भरते थे, तब उन्हें मराठा आरक्षण की याद क्यों नहीं आई।


विचाराधीन कैदियों को दीवाली का तोहफामिली जेल से घर कॉल करने की सुविधाअंडरवर्ल्ड और टेरर से जुड़े आरोपी नहीं कर सकेंगे फोन

महाराष्ट्र जेल प्रशासन ने विचाराधीन कैदियों का दीवाली का बड़ा तोहफा दिया है। फैसला किया गया है कि इस तरह के आरोपी अब जेल में लगे पीसीओ से परिवारवालों को फोन कर सकेंगे।अडिशनल डीजी (जेल) डॉक्टर भूषण उपाध्याय ने गुरुवार को एनबीटी को यह जानकारी दी।उपाध्याय के अनुसार, सातारा में हमने यह सुविधा शुरू भी कर दी है। राज्य की दूसरी जेलों से भी कुछ दिनों में फोन कॉल्स किए जा सकेंगे। महाराष्ट्रमें अभी तक सिर्फ कनविक्टेड कैदियों को ही घर वालों से बात की छूट थी, वह भी महीने में सिर्फ दो बार। पर विचाराधीन (अंडरट्रायल) कैदी परिवार वालों से बात करने के लिए तड़पते ही रहते थे। पर अब से वे भी महीने में चार बार अपने घर फोन घनघना सकेंगे। अडिशनल डीजी के अनुसार, हर कैदी को एक बार में अधिकतम दस मिनट तक बात करने की छूट होगी। विचाराधीन कैदियों को जेल प्रशासन को दो नंबर देने पड़ेंगे। जेल कर्मी फिर पुलिस से इन नंबरों का वेरिफिकेशन करवाएंगे, उसी के बाद विचाराधीन कैदी को जेल का पीसीओ यूज करने दिया जाएगा। हर विचाराधीन कैदी को प्रतिकॉल का पेमेंट जेल में जमा करना पड़ेगा ? कॉल करते वक्त उनके पास कोई न कोई जेल कर्मी भी रहेगा, ताकि आरोपी जेल से किस अन्य अपराध की साजिश की वार्तालाप न कर सके। सवाल यह है कि जेल में बंद आरोपी के पास ये रुपये आएंगे कहां से ? उपाध्याय कहते हैं कि हर विचाराधीन व कनविक्टेड आरोपी को घर से प्रतिमाह 2500 रुपये तक मंगाने की छूट है। आरोपी इन्हीं रुपयों से जेल के पीसीओ का बिल भर सकते हैं। जेल से परिवार को कॉल करने की इस सुविधा देने के पीछे जेल प्रशासन के दो मकसद हैं एक तो बच्चों, पति/पत्नी और मां-बाप से बात करने पर आरोपी का मन हलका हो जाएगा। दूसरे,जेल में अवैध रूप से मोबाइल फोन की जो तस्करी होती है, उस पर भी थोड़ा नियंत्रण लगने की उम्मीद है। पर अडिशनल डीजी ने स्पष्ट कर दिया कि अंडरवर्ल्ड और टेरर से जुड़े आरोपियों को जेल से किसी भी कीमत पर फोन नहीं करने दिया जाएगा।

जेल से होता है 15 करोड़ का कारोबार

मुंबई : महाराष्ट्र की जेलों में सजा काट रहे कैदी अपनी मेहनत से सरकार की अच्छी-खासी तिजोरी भर रहे हैं। पिछले एक साल में उनके बनाए सामानों ने करीब 15 करोड़ रुपये का बिजनेस किया। बनाए गए इन्हीं कई सामानों की गुरुवार को मंत्रालय में प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने किया। अडिशनल डीजी (जेल) डॉक्टर भूषण उपाध्याय ने एनबीटी को बताया कि गुरुवार की प्रदर्शनी में तीन लाख रुपये कीमत का सामान बिका। महाराष्ट्र में 54 जेलें हैं। पर अलग – अलग तरह के सामान बनाने का काम उन दस जेलों में ही होता है, जहां कनविक्टेड कैदियों को रखा जाता है। इन जेलों में येरवडा, कोल्हापुर, ठाणे, नाशिक, औरंगाबाद, अमरावती, नागपुर और अकोला के नाम प्रमुख हैं। कानून के मुताबिक, सिर्फ कनविक्टेड कैदियों से ही सामान बनवाया जा सकता है, विचाराधीन कैदियों से नहीं। हर कैदी को उनकी काम की कैटिगिरी के हिसाब से दिन का मेहनताना मिलता है जो क्रमश: 55, 50 और 45 रुपये होता है।संजय दत्त येरवडा जेल में कैरी बैग बनाते थे। उपाध्याय कहते हैं कि कैदियों से कुल 257 तरह के सामान बनवाए जाते हैं। इनमें 66 सामान सरकारी विभागों को जेल से ही खरीदना होता है। यदि वे कहीं और से इन्हें खरीदते हैं, तो उन्हें जेल से इसके लिए एनओसी लेनी पड़ती है। कई सामान प्राइवेट कंपनियां भी खरीदती हैं। अडिशनल डीजी के अनुसार, महिंद्रा की बोलरो गाड़ी में जो इलेक्ट्रानिक्स पार्ट्स हैं, वो महाराष्ट्र की यरवडा जेल में ही बने हैं। अमरावती जेल में एलईडी बल्ब बनाए जाते हैं। महाराष्ट्र के एक नामी मंदिर में लड्डू भी एक जेल से बने भेजे जाते हैं। जेलों में जूते,चप्पलों से लेकर बैग, शर्ट, साड़ियां, रूमाल, तौलियां, कुर्सियां सभी कुछ बनाई जाती हैं। क्राइम ब्रांच के सीनियर इंस्पेक्टर अशोक खोत ने ठाणे जेल में बनी ऐसी ही एक कुर्सी पांच साल पहले 7 हजार 300 रुपये में खरीदी थी। गुरुवार की प्रदर्शनी में कुछ ऐसी सिल्क साड़ियां रखी हुई थीं, जिसका बाजार भाव करीब 15 हजार रुपये है, पर जेल प्रशासन प्रति साड़ी दस हजार रुपये में बेचता है। अडिशनल डीजी कहते हैं कि सामान की डिमांड इतनी ज्यादा है कि हम महाराष्ट्र की जेलों में बने सामानों को सिर्फ महाराष्ट्र में ही बेच पा रहे हैं।

अब ‘सामान्य’ नहीं, ‘फ़र्स्ट क्लास’ हो रही है रेलवे, उपनगरीय रूट पर फर्स्ट क्लास पैसेंजर बढ़े-आउट बाउंड ट्रेनों में जनरल क्लास के यात्र घटे

मुंबई : हाल ही में सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे द्वारा जारी किए गए पिछले वर्ष के मुकाबले तुलनात्मक आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि उपनगरीय और गैर-उपनगरीय ट्रेनों के यात्रियों में बदलाव हो रहा है। यह आंकड़े अप्रैल-सितंबर 2016 तक के हैं। इनकी तुलना पिछले वर्ष के इसी 6 माह के पीरियड से की गई थी। उपनगरीय ट्रेनों में प्रथम श्रेणी के यात्री बढ़े हैं,जबकि सीजन टिकट की बिक्री में कमी हुई है। गैर-उपनगरीय ट्रेनों में अनारक्षित यानी सामान्य श्रेणी के यात्री घटे हैं जबकि तुलनात्मक रूप से अब लोग आरक्षित टिकट पर यात्रा करना पसंद कर रहे हैं।रेलवे की ‘फ़र्स्ट क्लास’ कमाईवेस्टर्न रेलवे मुंबई डिवीज़न (चर्चगेट से सूरत) में फर्स्टक्लास सीजन टिकट ख़रीदने वालों में 2.54% इजाफा हुआ है और रोज़ाना 1.12% अधिक लोग फर्स्टक्लास का कार्ड टिकट खरीद रहे हैं। फर्स्ट क्लास टिकटों की बिक्री से वेस्टर्न रेलवे को सीजन टिकट की वजह से 2.36% और कार्ड टिकट की वजह से 4.99% का फायदा हुआ है।रेलवे का फयदा, यात्रियों का नुकसानमुंबई से सूरत के बीच फ़र्स्ट क्लास के मासिक पास पर यात्रा करने वाले कमल बजाज के अनुसार, ” रेलवे फ़र्स्ट क्लास यात्रियों से अच्छा खासा पैसा वसूल रही है, लेकिन पिछले 2 महीनों से उनका हक छीन लिया है। ” बजाज के अनुसार अब इंटरसिटी और गुजरात एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में एमएसटी होल्डर के लिए आरक्षित फ़र्स्ट क्लास कोच को हटाकर कर वहां द्वितीय श्रेणी के आरक्षित यात्रियों को सीट जा रही है। फर्स्ट क्लास एमएसटी होल्डर को हजारों रुपए खर्च करने के बावजूद खड़ा रहना पड़ रहा है।बॉक्सजरा इस टिकट को देखिएवापी से बांद्रा के लिए यह टिकट सेकेंड सीटिंग श्रेणी में बुक की गई थी। इस टिकट की कुल कीमत 95 रुपए हैं जबकि इसे FC2 कोच यानी फ़र्स्ट क्लास कोच में आरक्षण दिया गया है। इसी दूरी के लिए फ़र्स्ट क्लास टिकट की क़ीमत तकरीबन 300 रुपए हैं।कमल बजाज के अनुसार ट्रेन नम्बर 12936 का यह कोच फ़र्स्ट क्लास एमएसटी होल्डर के लिए हुआ करता था, लेकिन अब उनकी तरह कई लोगों को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ रही है। (फोटो है) रेलवे का ‘सामान्य’ संकट भारतीय रेलवे में जनरल क्लास यानी अनारक्षित टिकट वाले यात्रियों की संख्या सबसे ज़्यादा है, लेकिन इससे रेलवे की कमाई नहीं होती है। 2 साल पहले पीक सीज़न में चलने वाली विशेष ट्रेनों या अस्थाई कोच में जनरल क्लास डिब्बों की संख्या तुलनात्मक रूप से अधिक हुआ करती थी।लेकिन अब अस्थाई कोच के रूप में सामान्य के बजाय आरक्षित कोच अधिक लगाए जाते हैं। इसका परिणाम भी अब दिखने लगा है। वेस्टर्न रेलवे पर आउट स्टेशन की ट्रेनों में आरक्षित यात्रियों से होने वाली कमाई में 9.98% इज़ाफ़ा हुआ है जबकि जनरल क्लास की कमाई में 2.29% गिरावट आई है।

पंडित मुंडे का निधन, मुंबई विधान परिषद में विपक्ष

के नेता धनंजय मुंडे के पिता पंडित मुंडे का गुरुवार को निधन हो गया। वे दिवगंत बीजेपी नेता
गोपीनाथ मुंडे के बड़े भाई थे। 75 वर्षीय पंडित मुंडे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। बीड स्थित उनके पैतृक निवास में ही उन्होंने आखिरी सांस ली।जब गोपीनाथ मुंडे राज्य की राजनीति में शीर्ष पर थे, तब बीडड की राजनीति का जिम्मा उन्होंने पंडित मुंडे को ही सौंप रखा था। वह दो बार बीड जिला परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके है.

14 फीट से अधिक के झोपड़ों पर कार्रवाई अटल

मुंबई : बांद्रा में गुरुवार को एक चार मंजिला झोपड़े के ढहने की घटना के बाद 14 फीट से ज्यादा ऊंचे झोपड़ों पर कार्रवाई अटल बताई जा रही है। इस दौरान किसी भी नगरसेवक द्वारा हस्तक्षेप कीशिकायत सीधे चुनाव आयोग से करने का बीएमसी मन बना रही है। इसे लेकर संशय के बादल बांद्रा की घटना के बाद पूरी तरह से छंट गए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी, हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। गौरतलब है कि अंधेरी की जुहू गली में कुछ महीनों पहले एक बहुमंजिला झोपड़े में आग लगने से 9 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद बीएमसी कमिश्नर ने वॉर्ड ऑफिसरों को 14 फीट से ज्यादा ऊंचाई के झोपड़ों का सर्वे करने का आदेश दिया था। मॉनसून बीतते ही कार्रवाई तेज करने का फैसला किया गया है। सर्वे की धीमी रफ्तार के मद्देनजर पिछले दिनों कमिश्नर ने सर्वे के साथ नोटिस देने और तोड़क कार्रवाई करने का भी आदेश दिया। इस दौरान बीएमसी की जमीन पर बसे 14 फीट से ज्यादा झोपड़ों पर पहले कार्रवाई का आदेश दिया गया। कुछ इलाकों में तोड़क ऐक्शन लिए जा रहे हैं। इसके तहत 14 फीट से ऊंचे हिस्से को तोड़कर बाकी को छोड़ दिया जाता है।दबाव घटेगादरअसल, प्रशासन पर इन झोपड़ों पर कार्रवाई न करने का जबर्दस्त दबाव है। बांद्रा की घटना का हवाला देकर अब प्रशासन अपनी कार्रवाई में रफ्तार लाएगा। राजनीतिक पार्टियों की ओर से आने वाले दबाव को भी इसी के सहारे हल करने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि भ्रष्टाचारी विभाग के रूप में बदनाम बिल्डिंग प्रपोजल विभाग में कमिश्नर ने आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप को भी आधिकारिक तौर पर नोट करने का आदेश दिया है। ऐसे में, झोपड़ों के मामले में भी इसी तरह की उपाय-योजना आजमाई जा सकती है।चुनावी गणितझोपड़ों पर कार्रवाई को लेकर राजनीतिक गणित भी लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस, शिवसेना का गढ़ माने जाने वाले इन इलाकों में ऐक्शन के बाद वोट बिखरने की भी संभावना है। जिससे बीएमसी चुनावों का गणित पूरी तरह से बदल सकता है। गौरतलब है कि बीएमसी की 227 में से करीब 90 सीटों पर ये वोट निर्णायक साबित होते हैं।भाव होगा कमझोपड़ों पर तोड़क कार्रवाई से इनके रेट तेजी से नीचे गिरेंगे। सांताक्रुज के प्रभात कॉलोनी में चल रही कार्रवाई से वहां 65-70 लाख में बिकने वाले घर को कोई 50 लाख में भी खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। जानकारों के मुताबिक, इससे झोपड़ों से इन्वेस्टर गायब होंगे। जिसका सीधा असर इनके दामों पर पड़ेगा। गौरतलब है कि इन बहुमंजिला झोपड़ों को भाड़े पर देकर कई लोगों मोटी कमाई करते हैं। इस दौरान सुरक्षा की पूरी तरह से अनदेखी की जाती है। इन इलाकों में आग इत्यादि आपातकालीन स्थिति में सहायता पहुंचाने में काफी दिक्कत होती है।

बेहरामपाडा का क्या होगा?

बेहरामपाडा में बने चार-पांच मंजिला झोपड़े से ही पूरा मामला उभरा था। हालांकि, यह इलाका रेलवे की जमीन पर बसा है। पिछले दिनों बीएमसी कमिश्नर द्वारा सबसे पहले बीएमसी की जमीन पर बसे झोपड़ों पर कार्रवाई का आदेश दिया गया है। ऐसे में, खतरनाक हो चुके इस इलाके पर कार्रवाई आगे खिसक सकती है।हालांकि, इस घटना के बाद भी प्रशासन के रुख पर सबकी नजर होगी।

वॉर्ड ऑफिस का घेराव

बीएमसी द्वारा 14 फीट से ऊंचे झोपड़ों पर कार्रवाई के खिलाफ गुरुवार को बांद्रा (पश्चिम) के महाराष्ट्र नगर कंपाउंड के लोगों ने एच/वेस्ट वॉर्ड ऑफिस का घेराव कर प्रदर्शन किया। बीएमसी ने इस इलाके के लोगों को नोटिस देकर कार्रवाई करने की बात कही है। इसके खिलाफ लोगों में काफी रोष व्याप्त है। प्रदर्शन में शामिल रशीद अहमद पठान ने कहा कि हम सालों से इन घरों में रह रहे हैं। अगर झोपडों पर कार्रवाई होती है तो हमारा पूरा परिवार कहां रहेंगे? 12 सदस्यीय परिवार वाली कौशल युसूफ शेख ने कहा कि महाराष्ट्र नगर कंपाउंड में 4 से 5 हजार घर हैं। जिसमें सालों से लोग रह रहे हैं अगर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है, तो तमाम परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
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