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SDM सदर आर्यका अखोरी का काली फिल्म लगा सरकारी वाहन |
सवाल पहले बता दे फिर कैमरे पर सवाल पूछे. – SDM सदर आर्यका अखोरी
ये पत्रकारिता नहीं है, पत्रकारिता सीखिए – आर्यका अखोरी
आर. के. गुप्त
वाराणसी-चुनाव आयोग के निर्देश पर 04 जनवरी को 2017 को आदर्श आचार संहिता प्रदेश में जारी हो गई है. आचार संहिता का पालन कराने के लिए जिले की पुलिस के साथ-साथ जिला जिलाधिकारी पसीना बहाते दिखाई दे रहे है.जनपद मे एस.एस.पी के निर्देश पर पुलिस ने हजारो वाहनो के सीसे से ब्लैक फिल्मे व राजनीतिक बैनर, पोस्टर होर्डिंग,व पम्पलेट्स हटाये गये. मगर मातहत है कि इसका उलंघन स्वयं करते दिखाई देते है. इसकी एक बानगी आज वाराणसी के जिला मुख्यालय पर देखने को मिली जब आचार संहिता की धज्जिया जिला मुख्यालय पर ही उड़ती हुई दिखाई दी.
घटना कुछ इस प्रकार हुई कि सात जनवरी 2017 को जब मीडिया कर्मी राइफल क्लब मे डी.एम. की अध्यक्षता मे हो रही मतदाता जागरूकता की मीटिंग कवरेज करने के लिए जा रहे थे तभी जिला मुख्यालय पर वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक के कार्यालय के ठीक बाहर मजिस्ट्रेट लिखी सरकारी टाटा सूमो गोल्ड वाहन संख्या UP65AG0740 दिखाई दी. वाहन में काली फिल्म का उपयोग किया गया था. कौतूहलता वश पत्रकारों ने जब पता किया तो ज्ञात हुआ की यह सरकारी वाहन SDM सदर आर्यका अखोरी की है. इसकी कवरेज करने के उपरांत जब पत्रकारों ने इस सम्बन्ध में SDM सदर आर्यका अखोरी से उनके वक्तव्य जानने चाहे तो उन्होंने पहले बड़े सहज भाव से कहाकि वो काली फिल्म मैंने गर्मियों के कारण लगवाया था अब आचार संहिता का पालन करते हुवे 3-4 दिन में हटवा दूंगी. तभी उनकी नज़र इलेक्ट्रानिक मीडिया के कैमरे पर पड़ी जो चालू था. बस फिर क्या था उन्होंने आग बगुला होकर पत्रकारों को पत्रकारिता सिखाना शुरू कर दिया और कहा कि ऐसे पत्रकारिता नहीं होती है पहले आप सवाल बताया करे और फिर उसको कैमरे पर पूछा करे. एक आईएएस अधिकारी की भाषा शैली एकदम तरारे के साथ थी. लगभग दस मिनट तक उनका भाषण पत्रकारिता के ऊपर चलता रहा. मगर पत्रकार तो पत्रकार होते है, SDM साहिबा के दिए जा रहे पत्रकारिता के लेक्चर को अनसुना करते हुवे मीटिंग हाल से बाहर निकल आये.
जब इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने सटीक स्पष्ट शब्दों में कहाकि वो अधिकारी हो या आम नागरिक ब्लैक फिल्म सभी के वाहन से उतारी जाएगी. किसी को भी नियमो से खेलने की अनुमति नहीं है. SDM सदर के पत्रकारों के साथ व्यव्हार के सम्बन्ध में उन्होंने कहाकि इसके लिए सभी अधिकारियो और कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दे दिया गया है कि पत्रकारों के साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
जो भी हो मगर कुर्सी बोलती है यह सुना था आज देखने को भी मिल गया. SDM सदर आर्यका अखोरी भले पत्रकारों को पत्रकारिता की परिभाषा बताये मगर बतौर अधिकारी उनको पहले नियमो का पालन करना चाहिए. जब अधिकारी ही नियमो की धज्जिया उडायेगे तो फिर वह आम जनता को भला किस प्रकार नियमो के पालन करने को कह सकते है. हा रही बात आर्यका अखोरी जी की तो ठीक है पत्रकारिता की परिभाषा वो समझा सकती है आखिर वो ठहरी आईएएस अधिकारी. मगर शायद उनको इसका संज्ञान नहीं है कि पत्रकारों को उनका काम भली भाति आता है और पत्रकारों को पत्रकारिता की परिभाषा भी आती है. साहेब हमारे लिए तो यह सब एक समाचार है क्योकि समाचार रोचक तब और भी हो जाता है जब नियमो की धज्जिया अधिकारी खुद उड़ाते है.