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42 वर्ष बाद मुक्त हुआ तिलहर विधानसभा विपक्ष की दल दल से,

तीसरा जनमत प्राप्त रोशनलाल से जनता को अनेक आशाये

इमरान सागर 

तिलहर,शाहजहाॅपुरः- इतिहास गवाह है कि 1974 के बाद वर्ष 2017 तक लगभग 42 वर्षो के अंतराल में पहली बार विपक्ष जैसी भूमिका का सर्वनाश हुआ और केन्द्र से प्रदेश तक जिले से विधान सभा तक कमल ही कमल खिल उठा।

उल्लेखनीय हो कि तिलहर का विकास इसी लिए कोसो दूर रहा कि जब भी विकास की बात आती थी तो एक ही शब्द आड़े आता था कि मै तो विपक्ष की भूमिका निभा रहा हूॅ। चाहे तिलहर निगोही मार्ग हो या फिर रेलगाड़ियों के स्टापेज हो अथवा रेलवे फलाइओवरजैसे अनेको मुद्दो से जनता को जूझना पड़ता था शायद इसी उम्मीद से जनता ने केन्द्र से क्षेत्रीय बिधान सभा तक रोशन लाल वर्मा को नुमाईन्दिगी की मुहिम में पूर्व चेयर मैन देवेन्द्र कुमार गुता एंव पूर्व ब्लाक प्रमुख अभिनव शर्मा वीरू तथा समाज सेवी भगत जी जैसे अनेक युवा चेहरो ने अपनी मेहनत से केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी का कमल बिधान सभा में खिला दिया।
गौरतलब हो कि तिलहर बिधानसभा वष्र 1974 से बिपक्ष की भूमिका में है। अब तक 42 वर्षो में हुऐ दस बार बिधान सभा के चुनाव में इस सीट से चुना गया बिधायक हमेशा विपक्ष का किरदार निभाता रहा।सत्ता की चाबी यहाॅ के बिधायक के पास न होने कारण क्षेत्र का कोई समूचित विकास नही हो सका। ण्दि हम इन 42 वर्षो की विपक्ष की भूमिका पर गोर करें तो वर्ष 1974 में जनसंघ की सीट पर यहाॅ सत्यपाल सिंह यादव विजयी हुये थे तब प्रदेश की सत्ता कांग्रेसियों के हाथ में थी इसके बाद वर्ष 1977 में पुनः सत्यपाल सिंह यादव कांग्रेस से जीते तो प्रदेश में जनता पार्टी की सत्ता रही। 1980 एंव वर्ष 1985 में सत्यपाल सिंह जनता पार्टी व लोकदल से बिधायक बने लेकिन इन दानो कार्यकाल में प्रदेश की सत्ता का्रगेसियों के हाथ रही। सुरेन्द्र बिक्रम सिंह ने 1989 में काग्रेस के टिकिट पर अपनी विजय पताका लहराई लेकिन उनके समय में प्रदेश की सत्ता पर जनता दल की सरकार काबिज थी जिाके कारण क्षेत्र का बिधायक बिपक्षी हो कर रहा गया। वर्ष 1991 में लोक सभा और बिधान सभा के चुनाव साथसाथ हुये तो सत्यपाल सिंह ने दोनो ही पदो से चुनाव लड़ा और वे जीत गये लेकिन उन्होने लोक सभा सीट को बरकरार रखते हुय बिधान सभा सीट से इस्तीफा देकर छोड़ दिया। वर्ष 1991 में सत्यपाल सिंह द्वारा छोड़ी गई सीट रिक्त हो गई और इस रिक्त हुई सीट एंव जसबंत नगर बिधान सभा सीट यानि दोनो ही सीटो से समाजवादी पार्टी के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा और दोनो ही सीटो पर विजय श्री हासिल की लेकिन उन्होने ने भी तिलहर बिधान सभा सीट को इस्तीफा देकर मुंह मोड़ लिया। बाद में तिलहर बिधान सभा सीट पर 1992 में हुये चुनाव में कांग्रेस के बीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने जीत हासिल कर बिधायक तो बने लेकिन इन दोनो वर्षो में प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी एंव समाजवादी पार्टी की सरकारे रही इस प्रकार वर्ष 2016 तक 42 वर्षो के सफर में बिधान सभा तिलहर बिपक्ष की भूमिका निभाता रहा लेकिन 2017 में क्षेत्र की युवा पीड़ी ने भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से पे्ररणा लेकर अथक मेहनत कर इस तिलहर बिधान सभा क्षेत्र को प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में ला खड़ा किया।
क्षेत्र की जनता ने तीसरी बार फिर रोशन लाल वर्मा को अपना    बिघायक चुन लिया इस उम्मीद से कि प्रदेश में पूर्ण बहुमत से बनी सरकार और सत्ता पक्ष के बिधायक रोशन लाल वर्मा क्षेत्र में अधूरे रह गये कार्यो को जल्द पूरा करेंगे क्यूंकि अब शायद ही उनके पास बिपक्ष की भूमिका निभाने का कोई बहाना नही होगा।
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