राजू आबदी
झांसी। जिला जेल कारागार झांसी में निरुद्ध एक कैदी की देर रात अचानक तबीयत खराब होने से जिला जेल प्रशासन ने झांसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया जहां देर रात उसकी मृत्यु हो गई। गौरतलब है कि जिला कारागार, झाँसी में दीपक दुबे उम्र 30 वर्ष पुत्र मूलचंद, निवासी दबग्राम कस्बा जालौन बंद था। दीपक के ऊपर गुल्लू अंसारी की हत्या का आरोप है और वह जिला कारागार झांसी में करीब 3 साल से है। दीपक दुबे के माता पिता का देहांत हो चुका है, परिवार में उसके एक भाई और एक बहन है।
प्रशासन की सूचना पर झाँसी अपने भाई के शव को लेने आयी उसकी बहन राधा ने जिला जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि दीपक की मौत एक हत्या है और इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र रचा गया है। राधा ने बताया कि दीपक इससे पहले गुल्लू अंसारी की हत्या के जुर्म में उरई जेल में बंद था। जहां उसका जेल प्रशासन से गंभीर विवाद हुआ था। जिसके बाद दीपक को सुरक्षा की दृष्टि से झाँसी जिला जेल में स्थांतरित किया गया था। दीपक की बहन ने बताया की उरई जेल प्रशासन के साथ हुए विवाद के संबंध में उरई जेल प्रशासन के करीब 5 लोग एक खिलाफ मुकदमा चल रहा था। जिसमें दीपक के कुछ दिन के अंदर ही बयान होने वाले थे।
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दीपक दुबे बैरक नंबर छह में बंद था, लेकिन उसकी तबीयत खराब रहने के चलते उसे जिला कारागार में बने अस्पताल की बैरक नंबर 8 में रखा गया था। जिला कारागार झांसी में कल देर रात दीपक दुबे का किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। जिसके थोड़ी देर बाद ही उसकी तबीयत खराब हो गई थी। जिसके बाद जिला जेल प्रशासन ने उसको आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज झाँसी भेज दिया था। जहां देर रात करीब 11:30 बजे उसकी मृत्यु हो गई। सूत्र में बताया कि दीपक दुबे नशे का आदि था। जिसकी पुष्टि दीपक दुबे की राधा ने भी की थी। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि दीपक दुबे करीब 3 साल से जेल में बंद है ऐसे में दीपक दुबे अपने नशे की लत को कैसे पूरा करता था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला कारागार झांसी में कल देर रात हुए विवाद की असली वजह नशा ही है, जिसके चलते दीपक दुबे को अपनी जान गवानी पड़ी। इस मामले में दीपक की बहन राधा ने जिला जेल प्रशासन पर षड्यंत्र रच कर दीपक की हत्या करने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि जिला कारागार, झाँसी में पिछले 1 साल में कई कैदियों की संदिग्ध मौत हो चुकी है, तो कई कैदियों के साथ मारपीट के मामले भी सामने आये है। जाहिर सी बात है की जिला कारागार में होने वाली इन मौतों पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। इन मौतों पर उत्तर प्रदेश सरकार के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उन दावों की भी पोल खुलती है। जहां वह प्रदेश में अच्छे कानून व्यवस्था की बात करते हैं। जहां जेल में बंद कैदियों की जिंदगियां भी सुरक्षित नहीं है। पिछले 1 साल में जिला कारागार झांसी में हुई लगभग 5 मौत होने जिला कारागार की अधिकारियों के भ्रष्टाचार और षड्यंत्र की पोल खोल कर रख दी है। क्योंकि मामला प्रशासन से संबंधित है ऐसे में जेल में बंद कैदियों की हुई मौत पर परिजनों को इंसाफ कब तक मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा या फिर जेल में बंद कैदियों की इसी तरह से मौते होती रहेंगी।