भागलपुर बिहार
अस्पताल से डॉक्टर ने भगाया एचआइवी मरीज को, पहले तो उसे टीबी ने अपना शिकार बनाया, फिर जांच में वह एचआइवी ग्रसित पाया गया. गले में हुए दर्द का इलाज कराने के लिए बड़ी उम्मीद के साथ 80 किलोमीटर दूर से जेएलएनएमसीएच (मायागंज अस्पताल) पहुंचा. लेकिन मायागंज अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे यह कह कर अस्पताल से भगा दिया कि उसके इलाज की यहां व्यवस्था नहीं है. सोमवार को आये तब इलाज होगा. इसके बाद वह अपने परिजनों के साथ मायागंज अस्पताल परिसर मै घंटों बैठा रहा. अंत में निराश होकर वह अपने परिजनों के साथ कहीं चला गया.
मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर निवासी एक 40 वर्षीय व्यक्ति बचपन से ही पटना में रह कर मजदूरी का काम करता रहा. करीब एक माह पहले उसे लूज मोशन हुआ तो इलाज के लिए पीएमसीएच ले जाया गया. जहां जांच में उसे टीबी होने का पता चला. तब से उसका टीबी का इलाज चल रहा था. गुरुवार को उसके गले में दर्द हुआ तो वह इलाज के लिए जमुई के एक सरकारी अस्पताल में गया. जहां जांच में वह एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. यहां से चिकित्सकों ने उसे मुंगेर सदर अस्पताल रेफर कर दिया.
करीब 24 घंटे इलाज के बाद शनिवार की सुबह में उसे वहां से मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया गया. परिजनों की माने तो, एचआइवी मरीज को शनिवार को अपराह्न दो बजे इमरजेंसी वार्ड में ट्रॉली पर ले जाया गया. इमरजेंसी में चिकित्सक ने कहा कि अस्पताल में इलाज की अभी व्यवस्था नहीं है. डॉक्टर आज-कल(शनिवार-रविवार) नहीं रहेंगे. सोमवार की सुबह नौ बजे आना. परिजनों ने बहुत गुहार की लेकिन चिकित्सक टस से मस नहीं हुए. मरीज को ट्राॅली पर लदा उसी स्थान पर छोड़ दिया गया, जहां लाशें रखी जाती है. करीब दो घंटे तक मरीज को भरती नहीं किया गया, तो नाउम्मीदी के साथ परिजन एचआइवी मरीज को लेकर कहीं चले गये.
करीब दो घंटे तक लाश रखनेवाले स्थान पर ट्राॅली पर बैठा रहा मरीज, फिर परिजनों के साथ कहीं और चला गया.
इस सम्बन्ध में डॉ आरसी मंडल, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है. अब इस मामले को देखता हूं. सोमवार को अगर मरीज आया तो किसी भी सूरत में उसे भरती कर उसका इलाज कराया जायेगा.