शबाब ख़ान
उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने पहली बार नाम लेकर चीन की आलोचना की है और कहा है कि चीन उसके संयम की परीक्षा न ले। तो एक अन्य अख़बार ने अमरीका को आगाह किया है। केसीएनए यानी कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (सरकारी एजेंसी) ने तीन मई को चीनी मीडिया पर आरोप लगाया था कि वो परमाणु खतरे की बात को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहा है।
फ़रवरी में भी केसीएनए ने चीन की आलोचना की थी। पर बिना नाम लिए उसने लिखा की वो अमरीका की धुन पर नाच रहा है। क्षेत्रीय मीडिया में भी उत्तर कोरियाई मीडिया की ओर से हुई आलोचना को उठाया गया है। दक्षिण कोरिया की यूनिफ़िकेशन मंत्रालय ने कहा है कि इससे पहले उत्तर कोरिया चीन की आलोचना करते समय सिर्फ़ ‘पड़ोसी देश’ शब्द का इस्तेमाल करता था। जबकि इस बार सीधे सीधे चीन का नाम लिया है।
‘अगर परमाणु टेस्ट किया तो’
कमेंट्री में चीन का आगाह करते हुए लिखा गया है, “डीपीआरके-चीन रिश्तों को कमज़ोर करने के ग़ैर ज़िम्मेदाराना काम के अंजाम के बारे में चीन को सोचना चाहिए। पीपल्स डेली और ग्लोबल टाइम्स जैसे अख़बार दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।” डीपीआरके- यानी डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया जो उत्तर कोरिया का औपचारिक नाम है।
इसके जवाब में चीन के राष्ट्रवादी माने वाले अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “चीन को उत्तर कोरिया के साथ ‘जैसे को तैसे’ वाली बहस में पड़ने की ज़रूरत नहीं है। चीन को अपना रुख स्पष्ट कर देना चाहिए। उत्तर कोरिया को ये भी समझा देना चाहिए कि अगर उसने एक और परमाणु टेस्ट किया तो चीन ऐसे कदम उठा सकता है जो उसने पहले कभी नहीं उठाए।” चीन को उत्तर कोरिया का समर्थक माना जाता रहा है। लेकिन जब से चीन ने परमाणु और मिसाइल प्रोग्राम को लेकर उत्तर कोरिया पर कथित तौर पर आर्थिक दवाब बनाना शुरु किया है तब से रिश्तों में गिरावट आई है।
अमरीका को किया आगाह
इस बीच एक उत्तर कोरियाई अख़बार मिन्जू जोसोन ने अमरीका को आगाह किया है कि वहाँ सत्ता परिवर्तन की कोशिशें न करें। अख़बार ने लिखा, “ट्रंप प्रशासन ने उत्तर कोरिया में नेतृत्व परिवर्तन को अपनी सैन्य नीति का मुख्य गोल बनाया है और उसे हासिल करने की कोशिश में लगा है।” वहीं दक्षिण कोरिया की योनहैप न्यूज़ एजेंसी ने अमरीकी वेबसाइट 38नॉर्थ का हवाला देकर लिखा है कि उत्तर कोरिया की परमाणु टेस्ट साइट पर काम चालू रहने की ख़बरें हैं। एजेंसी के अनुसार, “ताज़ा सेटेलाइट तस्वीरों में वहाँ बहुत से लोगों को वहाँ देखा जा सकता है जो सामान्य नहीं है और लगता है कि उत्तर कोरिया की प्रोपेगैंडा का हिस्सा है।”