चरम पर अवैध वसूली, जेई और बाबू की भूमिका संदिग्ध
ठेकेदार की राजनीतिक पकड़ सब पर है भारी
इमरान सागर
शाहजहांपुर:-जनपद के खुदागंज नगर पंचायत स्थित विद्युत उपकेंद्र में भ्रष्टाचारी जड़ें बहुत ही मजबूत हैं । यहां पर ग्रामीण जनता के लिए सरकार ने कनेक्शन हेतु 130 रुपए फीस रखी है परंतु ग्रामीण वासियों से 500रूपये, 650 रूपये,800रूपये, 12 सौ रूपये से लेकर 15 सौ तक रुपए वसूला जा रहा है।बड़े आश्चर्य की बात है कि सरकारी लिखा-पढ़ी में 130 रुपए की ही रशीद काटी जाती है ।
संविदा कर्मियों से पूंछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें वेतन साल में केवल दो बार मिलता है एक बार होली में 10 हजार रूपये और दूसरी बार दीपावली में 10 हजार अर्थात 12 महीने में मात्र 20 हजार। गहन जानकारी करने पर खुलासा हुआ की उनसे एक रजिस्टर पर साइन करवा लिए जाते हैं और एक दबंग ठेकेदार का कहना है की इतना रुपया लेना हो तो ले लो नहीं तो बाहर निकलो ।अब विद्युत विभाग पर प्रश्न बनता है कि जो संविदा कर्मी हैं वह ठेकेदार के हैं? या विद्युत विभाग के? शासन से स्वीकृत बजट विद्युत विभाग को आता है जिस पर जिम्मेदारी अधिकारी की, संविदा कर्मियों की भर्ती का रिक्रूटमेंटऔर सलेक्शन करने की जिम्मेदारी अधिकारी की, संविदा कर्मियों की छुट्टी स्वीकृत करना और वेतन में कटौती करने की जिम्मेदारी अधिकारी की परंतु किस संविदा कर्मियों को मासिक कितना वेतन मिलना चाहिए यह किसकी छुट्टी दे देनी चाहिए तब यह जिम्मेदारी ठेकेदार इसकी कहां से बनती है इसका सीधा सा तातपर्य यह है कि विद्युत विभाग के आला अधिकारी अपने को न फसांये और दूध के धुले बनकर बैठे रहें क्योंकि उनके तो बलि के बकरे मिल ही रहे हैं।इसलिये ठेकेदार के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। विद्युत संविदा कर्मियों को कोई भी कार्ड न देना इनके ऊपर सवालिया प्रश्न पैदा करता है क्योंकि ये लोग गांव -गांव जाते हैं यदि ग्रामीण जनता ने या किसी अन्य ने कोई कार्ड अगर मांग लिया तब वह बेचारे कैसे प्रूफ करेंगें कि ये विद्युत विभाग के कर्मचारी हैं वहां पर उनकी चाहे पिटाई हो या कोई अन्य बड़ा प्रकरण जब सामने आता है तो यही विभाग सीधे-सीधे मना कर देता है कि यह उनका कर्मचारी नहीं है। कंपनसेशन एक्ट 1951 के आधार पर सभी कर्मचारियों को सुविधा दी जाती है कि ड्यूटी के दौरान उनके साथ कोई अप्रिय घटना घटित होने पर विभागीय जिम्मेदारी बनती है और विभाग मूल्यांकन करता है कि उनका कितना कितने प्रतिशत शरीर क्षतिग्रस्त हुआ है और उसी के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि की पूर्ति की जाती है। परंतु यहां सब कुछ आला अधिकारी आपस में अंदर बांट कर लेते हैं और पीड़ितों को अंगूठा दिखा देते हैं ।कुछ संविदा कर्मियों से मुलाकात हुई तब उनका दर्द छलक पड़ा और उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने इलाज के लिए खेत बेंचकर या गिरवी डालकर या रिश्तेदारों से उधारी लेकर इलाज करवाया। परंतु विद्युत विभाग ने कहीं पर भी उनकी कोई मदद नहीं किए बल्कि आए दिन यही कहा जाता है किस शांत बैठो अन्यथा यहां से बैड एंट्री कर निकाल देंगे परंतु इतना शोषण होने के बावजूद भी बेचारे इस उम्मीद से लगे हैं कि हो सकता कभी भगवान सुन लें तब वह लोग भी सरकारी हो जाए। इस संदर्भ में जब जेई से बात की गई तब उन्होंने बताया कि वह किसी की सेलरी नहीं रोकते हैं उनकी सेलरी ठेकेदार रोकता हैं ।जेई का कहना है कि ठेकेदार बहुत ऊंची पहुंच वाला व्यक्ति है उसके आगे सभी अधिकारी नतमस्तक हैं परंतु यह सटीक जवाब नहीं हुआ जेई को ठेकेदार का नाम ही नहीं पता है कभी विजय शर्मा बताते हैं तब कभी नन्हे बताते हैं ।यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि यदि ठेकेदार अधिकारियों से ऊपर है, अधिकारियों में भय व्याप्त है तब उनसे पूछना चाहूंगा कि कितनी बार उनके द्वारा जिलाधिकारी को प्रस्ताव बनाया गया या कोई प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया या पुलिस विभाग में शिकायत की ?लेकिन जैसा की ऊपर बताया था कि सारा रोल विद्युत विभाग के आला अधिकारियों का है केवल उसके कंधे पर बंदूक रखी जा रही है ।संविदा कर्मियों का कहना है कि अपनी बात को बताने के कारण बहुत से संविदा कर्मियों को निकाल दिया गया है कहीं ऐसा न हो कि उन्हें भी नौकरी से निकाल दिया जाए ।अतः जिला अधिकारी संज्ञान में लें और कार्रवाई करें ताकि मोदी राज और योगी राज में जो भ्रष्टाचार मुक्त, सुशासन ,सबका साथ सबका विकास का नारा है वह धरातल पर सच साबित हो।