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काम न अायी अरबों की काली कमाई, जेल गया एआरटीओ आर.एस.यादव, कई ठिकानों पर हुई छापेमारी

शबाब ख़ान
वाराणसी: प्रदेश में सरकार बदलते ही पिछली सरकार की उँगली पकड़कर भ्रष्टाचार के जरिये अकूत संपत्ति बनाने के आरोपी चंदौली के एआरटीओ प्रवर्तन आरएस यादव पर गाज गिरी, उस भ्रष्ट अधिकारी की साख, पहुँच, पैसा, पॉवर सबका सब धरा रह गया और उसको पुलिस अभिरक्षा में रविवार की शाम वाराणसी की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरएस यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पेशी के दौरान कचहरी में परिवहन विभाग का कोई कर्मचारी और अधिकारी नहीं था। वजह यह बताई जाती है इनकी अपनें ही विभाग से हमेशा तना-तनी बनी रहती है, इनके कामों यदि किसी नें रोड़ा बननें की कोशिश की तो महीने भर के अंदर यादव जी उस रोड़े का तबादला करवा देते थे। सूचना तो यहॉ तक है कि चंदौली आरटीओ ऑफिस में आज गुपचुप तरीके से मिठाईयॉ बटी हैं। बहरहाल आज इनके समर्थन में दो चार वकील ही पहुंचे थे। इसके पूर्व पुलिस ने आरएस यादव को लेकर उनके छावनी स्थित होटल वेस्टिन और घर पर छापेमारी की।
होटल से हार्डडिस्क समेत कागजात और घर से भी कई फाइलें पुलिस ने जांच के लिए जब्त कर ली है। जांच में एआरटीओ के अरबों रुपये के साम्राज्य का पता चला है।  चंदौली पुलिस के सीओ प्रदीप सिंह चंदेल, इंस्पेक्टर मुगलसराय अतुल नारायण सिंह और इंस्पेक्टर चकिया अश्विनी चतुर्वेदी अपने साथ आरएस यादव को लेकर दिन में करीब ग्यारह बजे होटल वेस्टिन पहुंचे थे। करीब एक घंटे तक पुलिस ने रिसेप्शन पर रखे कंप्यूटर और फाइलों की पड़ताल की। इस दौरान होटल में हड़कंप मचा रहा। होटल में छापे की सूचना मिलते ही होटल में ठहरे गेस्ट बाहर निकल आए थे। कर्मचारी भी इधर उधर भाग रहे थे।
आरएस यादव रिसेप्सन पर सोफे पर बैठे रहे और पुलिस जांच करती रही। इसके बाद पुलिस यादव के आवास पहुंची। अंदर जाने के बाद मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। यहां भी करीब दो घंटे तक पड़ताल की गई। आलमारी में रखे कागजात खंगाले गए। घर से गहने और रुपये हटा दिए गए थे। केवल 14 हजार रुपये मिले। उस समय घर पर उनकी पत्नी और बेटियां थीं। सूत्रों की मानें तो पुलिस को होटल और मकान की जांच के दौरान संपत्ति से जुड़े कई महत्वपूर्ण कागजात मिले हैं। होटल और मकान में छापे के बाद पुलिस यादव को लेकर चंदौली चली गई। शाम करीब पांच बजे उन्हें वाराणसी लाया गया और अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
जानिए पूर्वाचल के भ्रष्टाचार किंग के चौका देने वाले कारनामें
सपा सरकार के करीबी योगी सरकार की लिस्ट में सबसे ऊपर है, इसकी बानगी अच्छी-खासी हनक वाले आर.एस यादव के भ्रष्टाचार के जरिए बनाए साम्राज्य के भरभरा कर ढ़ह जानें से देखने को मिल गई। अवैध वसूली के आरोप में निलंबित किए गए चंदौली के एआरटीओ आर.एस यादव को पुलिस ने शिकंजे में ले लिया  है। पिछले 19 वर्षों से सरकार चाहे जिसकी भी रही हो, सड़क पर सिक्का आर.एस यादव का ही चलता था। लेकिन योगी सरकार में कोई जोर नहीं चला। प्रारंभिक जांच में ईडी की टीम को वाराणसी में तारांकित होटल, पांच प्लॉट और गोरखपुर में शॉपिंग- हाउसिंग कांप्लेक्स समेत करोड़ों के साम्राज्य की जानकारी मिली है।
अवैध वसूली के आरोप में निलंबित किए गए चंदौली के एआरटीओ आर.एस यादव को शनिवार शाम शाम जौनपुर के मछलीशहर में गिरफ्तार किया गया। तीन दिन पहले चंदौली में आर.एस यादव के चालक को पुलिस ने ओवरलोड ट्रकों से वसूली करते वक्त गिरफ्तार किया था। यादव पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। नौबतपुर चेकपोस्ट से अब तक वही ओवरलोड ट्रक पास होते रहे जिसे आर.एस यादव चाहता था।
जांच में पता चला है कि खास तौर पर पांच बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ढाई हजार ओवरलोड ट्रकों को वे हर महीने नौबतपुर चेकपोस्ट से पास कराता रहा।  एक ट्रक से सात हजार रुपये की वसूली की जाती थी। केवल इन्हीं ट्रकों से हर माह पौने दो करोड़ रुपये की अवैध वसूली का खुलासा हुआ है।
इनके अलावा भी सैकड़ों ओवरलोड ट्रकों से वसूली कर उन्हें पास कराया जाता रहा है। आर.एस यादव की गाड़ी में मिली डायरी में पिछले महीने ढाई हजार ट्रकों से वसूली का विवरण चौंकाने वाला है। गिरफ्तार एआरटीओ की गाड़ी से उसके चालक और एक दलाल को पुलिस ने बीते गुरुवार को ट्रकों से अवैध वसूली करते पकड़ा था। करोड़ों का साम्राज्य खड़ा करने वाले आरएस यादव 23 साल पहले जल निगम में जेई हुआ करता था। चंदौली प्रशासन की जांच में फिलहाल इन तथ्यों का खुलासा हुआ है कि 1994 में पांच साल के लिए उसे प्रतिनियुक्ति पर संभागीय परिवहन कार्यालय वाराणसी में बतौर आरआई भेजा गया था। बाद में शासन में पैरवी कर इसने खुद को परिवहन विभाग में ही समायोजित करा लिया।
इसी विभाग में प्रमोशन पाकर एआरटीओ बन गया। 1994 से 2017 तक की नौकरी में 19 साल तक उसका कार्यक्षेत्र वाराणसी और चंदौली ही रहा। बाकी के चार साल भी गाजीपुर और भदोही में गुजारा।  ज्यादातर नौकरी आर.एस यादव ने प्रवर्तन अधिकारी के रूप में ही की। सपा सरकार में एक कद्दावर मंत्री और बसपा सरकार में भी बड़े कद वाले एक मंत्री की पैरवी से उसे वाराणसी मंडल में अभयदान मिलता रहा। पिछले बीस सालों में यादव ने वाराणसी समेत पूर्वांचल में करोड़ों की संपत्ति बना ली है। पूर्वांचल में ‘मोटी कमाई’ का सबसे बड़ा केंद्र चंदौली माना जाता है। यहां पोस्टिंग के लिए सत्ता तक सीधी पकड़ उनका सहारा बनी।
सत्ता में मजबूत पकड़ के चलते आरएस यादव कई बार अपने कारनामों को छिपाने में कामयाब रहा है। 18 मार्च 2015 को चंदौली के तत्कालीन डीएम और एसडीएम ने एआरटीओ दफ्तर में छापेमारी की थी। दो कर्मचारियों समेत तीन लोगों को जेल भेजा गया था। तीनों के पास करीब 50 हजार रुपये मिले थे जिनका कोई हिसाब नहीं था। कर्मचारियों ने अपने बयान में तत्कालीन एआरटीओ आरएस यादव का नाम नहीं लिया जिससे वह बच गया। सूत्र बताते हैं कि नाम न लेने के लिए कर्मचारियों को ‘मैनेज’ किया गया था। इस बार आरएस यादव का चालक उसकी गाड़ी से वसूली करते पकड़ा गया है। इस बार भी ‘मैनेज’ करने की पूरी कोशिश हुई पर सत्ता की सख्ती के आगे किसी की एक न चली।
गिरफ्तार किया गया आर.एस यादव खेलकूद का भी शौकीन है। वाराणसी एथलेटिक्स संघ के अध्यक्ष की हैसियत से वह 2016 में रियो ओलंपिक में भाग लेने गया था। उसने बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु एवं बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद के साथ अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट की थी। शनिवार को गिरफ्तार होने से कुछ देर पहले यादव ने अपने फेसबुक से इस फोटो को छोड़ सारी फोटो हटा दी थी। आरएस यादव अपने होटल में भी खेल खिलाड़ियों के साथ मीटिंग करता रहा है।
परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी आर.एस यादव के खिलाफ हुई कार्रवाई से खासे खुश हैं। इनमें से कई ने प्रवर्तन निदेशालय में आरएस यादव की शिकायत करने वाले पूर्वांचल ट्रक ओनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रमोद सिंह को फोन कर बधाई दी और एआरटीओ से जुड़ी कई अन्य जानकारियां भी दीं। सूत्रों की मानें तो परिवहन विभाग में आर.एस यादव का अन्य अधिकारियों से 36 का आंकड़ा है। मनमाफिक जगह पर तैनाती के फेर में और अपने ‘काम’ में बाधा बनने वाले दूसरे अधिकारियों का वे तबादला कराते रहे। यही वजह है कि विभाग के अधिकारी भी उनके साथ नहीं है।
एआरटीओ (प्रवर्तन) आर.एस यादव के तार पंचम तल से जुड़े हुए हैं। पूर्व सरकार के एक प्रमुख सचिव को उपकृत करके खेल संगठनों में पैठ जमा ली। यादव को जिला एथलेटिक्स संघ का अध्यक्ष बना दिया गया। किसी खेल एसोसिएशन की इससे ज्यादा दुर्गति क्या हो सकती है कि उसके अध्यक्ष को उस खेल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।  यूंकि खेल संगठनों से जुड़े तमाम अनुभवी पदाधिकारियों ने इसका विरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बताते हैं कि धनबल के बूते ये अधिकारी रियो ओलंपिक जाने में कामयाब रहा। इसके साथ पंचम तल का वो पावरफुल आईएएस अफसर भी साथ गया। खेल संगठनों के लोगों का कहना है कि रियो जाकर खूब सैर सपाटा किया और खिलाड़ियों की कोई खोज खबर नहीं ली। आर.एस यादव के अध्यक्ष बनने के बाद से महिला खिलाड़ी असहज थीं।
सहायक परिवहन अधिकारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। बनारस क्लब के एक सदस्य से नजदीकियों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। ये चर्चा फिजा में तैरते हुए आम हो गई। बताया जाता है कि इसी चर्चा को लेकर एयरपोर्ट पर इनके साथ हाथापाई तक हुई। क्लब के सदस्यों के बीच यह मामला काफी चर्चा में रहा। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि आठ साल पूर्व आर.एस यादव पर हमला भी हुआ था। उनके ऊपर गोली चलाई गई थी। हालांकि गोली क्यों और किसने चलाई इसका पता आज तक नहीं पता चला।
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