“प्रत्येक
व्यक्ति की सफलता के पीछे उसकी ‘इच्छा शक्ति’ है। जहां आपका विश्वास
डगमगाया, इच्छाओं के रहने के बावजूद भी आप मंजिल पर नहीं पहुंच पाएंगे।
प्रत्येक असमर्थ व्यक्ति को समर्थ बनने की मूल उसकी इच्छा शक्ति में है।” – स्वेट मार्डेन
‘इच्छा शक्ति’ सुनने में कुछ अक्षरों के दो शब्द कुछ दार्शनिक से लगते हैं।जो बहुत बार हमें सुनने को मिलते हैं, पढ़ने को मिलते हैं,और हम भी इनको पढ़कर या सुनकर कुछ समय बाद भूल जाते हैं। पर क्या कभी हमने इन दो शब्दों की प्रेरणा को महसूस किया!जो इनको अपनी जिंदगी में जगह देने के बाद किसी का भी जीवन बदल सकती है।
‘इच्छा शक्ति’ अर्थात ‘ इच्छाओं या आकांक्षाओं की शक्ति ‘।
इच्छाएं तो हम सभी रखते हैं,पर क्या उन्हें पूरा करने की शक्ति भी अपने अंदर रखते हैं या “यह मेरे बस की बात नहीं” कह कर कभी उन्हें पूरा करने की कोशिश ही नहीं करतें।कहा भी जाता है- “सपनों को सिर्फ देखो नहीं, उन्हें जीना सीखो” ।यह ‘इच्छा शक्ति’ ही होती है जो हमें सिर्फ सपनों को देखना ही नहीं पूरा करना भी सिखाती है।
यदि हम सफलता पाना चाहते हैं तो हमारी ‘इच्छा शक्ति’ इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।इच्छा शक्ति हमें दो प्रकार से अभिप्रेरित करती है:
पहला, यह हमें कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है,क्योंकि इसके बिना सफलता असंभव है।
दूसरा, यह हमारे परिश्रम से हमारे भीतर आत्मविश्वास रुपी शक्ति का विकास करती है।
इसी ‘इच्छाशक्ति’ की दृढ़ता के बल पर ही संसार में जितने महापुरुष हुए हैं,उन्होंने सफलता की सीढ़ियों को चढ़ा है ।दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर ही अब्राहम लिंकन पढ़ लिखकर एक किसान के बेटे से अमेरिका के राष्ट्रपति पद तक पहुंचा। इसी बल पर जेम्स वॉट ने भाप का इंजन बनाकर दुनिया को चमत्कृत कर दिया। न्यूटन यदि पेड़ से से गिरने की उस घटना को यूं ही भुला देता तो शायद उसे गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत कभी ना मिलता।इसी ‘इच्छा शक्ति’ के बल पर ही एकलव्य ने धनुर्विद्या में बिना गुरु के ही द्रौण के शिष्य अर्जुन से भी अधिक सफलता प्राप्त की थी। ऐसे ही ना जाने कितने लोगों के नामों से इतिहास भरा पड़ा है जिन्होंने अपनी इच्छा शक्ति के बल पर अपनी आकांक्षाएं पूर्ण की और सफलताओं की नयी कहानी लिख, विश्वविख्यात विद्वानों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराया।
इस संसार में जितने भी महान कार्य हुए हैं, वह मनुष्य की दृढ़ ‘इच्छाशक्ति’ के सहारे ही हुए हैं।जिस व्यक्ति की ‘इच्छा शक्ति’ में जितनी दृढ़ता होती है वह उतना ही अधिक सक्षम होता है,क्योंकि हम पर हमारी इच्छा शक्ति का ही शासन है।बस उसे सही दिशा देने की आवश्यकता है।
अगर आप कुछ पाने की प्रतिज्ञा करेंगे तो रास्ते की सारी मुसीबतें स्वयं ही दूर हो जाएंगी।जैसे – पहाड़ी से निकलने वाला झरना रास्ते में आने वाले पत्थरों की रुकावटों को तोड़ता हुआ अपना रास्ता स्वयं ही बना लेता है,ठीक वैसे ही हमारी दृढ़ ‘इच्छाशक्ति’ हमारे रास्ते में आने वाली बाधायों से न घबराकर, हमें अपने लक्ष्य से डिगने के बजाय निरंतर लक्ष्य प्राप्ति की और आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। ‘इच्छा शक्ति’ ही मस्तिष्क की वह शक्ति है जो हमें एक निर्धारित लक्ष्य पर अटल रहने की प्रेरणा देती है,और इसके लिए जो सबसे महत्वपूर्ण है वो है स्वयं के निर्णय व लक्ष्य पर स्वयं विश्वास।क्योंकि बार-बार लक्ष्य बदलना,असफलता का विचार, हीनभावना, छोटी-छोटी कठिनाइयों से घबराना इस बात का सूचक होते हैं की आपकी ‘इच्छा शक्ति’ दृढ़ नहीं है और आप अपने लक्ष्य हेतु समर्पित नहीँ है।
अतः अपने लक्ष्य पर अडिग रहें, कठिनाइयों व बाधाओं से हार ना मानें। प्रसन्नता व सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े ।सिर्फ निर्णय ले कर ना रह जाए उसे क्रियांवित करने के लिए ‘दृढ़ इच्छा शक्ति’ और संकल्प से जुट जाएं ,क्योंकि सही सकारात्मक सोच हमारे रास्ते में आने वाली प्रत्येक बाधाओं, कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों जैसी रुकावटों को दूर करके हमारी आत्मा के अंदर नई शक्ति और उत्साह का सृजन करेगी और हमें अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु सार्थक बनाएगी वो होगी हमारी- ‘इच्छा शक्ति‘।