निजी चिकित्सकों द्वारा भी उपलब्ध कराई जा रही सेवाएं
आलोक कुमार श्रीवास्तव
वाराणसी। प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी व आत्म-निर्भर बनाये जाने के लिए जहाँ नित नई योजनाओं की घोषणाएँ की जा रही हैं। वहीँ उनके स्वास्थ्य सेवाओं में भी इजाफा हो रहा है। इन्हें उपलब्ध कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ कर आधुनिक हो चला है। चिकित्सा के क्षेत्र में जिस रफ़्तार से निजी चिकित्सालय बढ़ रहे हैं उसी रफ़्तार से सरकारी चिकित्सालयों की संख्या व महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाएं बदस्तूर बढ़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की संख्या व चिकित्सकों की तैनाती के साथ ही उनकी उपस्थिति भी अनिवार्य की जा रही है। पीएम मोदी भी महिलाओं के बेहतर इलाज के लिए कटिबद्ध दिखाई दे रहे हैं।
यही कारण है कि पीएम मोदी के निर्देश पर प्रदेश में सुरक्षित मातृत्व को सफल बनाने के लिए प्रत्येक माह की 9 तारीख को सुरक्षित मातृत्व क्लिनिक का आयोजन किया जा रहा है। जुलाई माह से निजी महिला चिकित्सकों को स्वास्थ्य केंद्रों पर आने के लिए एक हजार चिकित्सा भत्ता व गर्भवती महिलाओं को अल्पाहार की भी व्यवस्था की गई है। 23 निजी व बीएचयू के 12 रेजिडेंट चिकित्सकों ने पीएचसी पर जाकर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ के जांच की सहमति दी है। डॉ रुचि पाठक ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना की मुहिम से जुड़ने वाले निजी चिकित्सक वेब-साइट के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
16 पीएचसी पर होगी जांच
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ वी बी सिंह ने सीएमओ कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि जून माह तक 10123 गर्भवती महिलाओं को चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जिसमे 1558 गर्भवती महिलाएं हाईरिस्क प्रेग्नेंसी में चिन्हित की गईं जिन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया। डॉ सिंह ने बताया की 37 गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पाई गई जिसे नियंत्रित करने के लिए आयरन की गोलियां दी गईं।
शिशु मृत्यु दर चिन्ता का सबब
पीएम के संसदीय क्षेत्र शिशु मृत्यु दर में पिछले वर्ष में प्रसव के दौरान एक हजार में 57 बच्चों की मौत हुई। प्रदेश का ये आंकड़ा 53 व देश मे 43 रहा। जिले में प्रसव के दौरान खून की कमी के चलते एक लाख गर्भवती महिलाओं में 214 की मौत हो गई। जबकि प्रदेश का कुल आंकड़ा एक लाख में 254 रहा।