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काशी में हो चूका है अब अमूल चुल परिवर्तन

⁠⁠⁠⁠⁠(जावेद अंसारी)

वाराणसी : काशी सृष्टि का सबसे पुराना शहर है। इस शहर को वाराणसी और बनारस नाम से भी जाना जाता है। मगर कुछ लोग ही जानते होंगे कि काशी और वाराणसी में फर्क है। हकीकत में मोक्ष की नगरी काशी है और उसका विस्तृत स्वरूप है वाराणसी। खैर आज आपको काशी दर्शन में आने वाली इस समय की मूल भुत समस्याओ से अवगत करवाना चाहते है। पहले लोग कहते थे रांड सांड सीढी सन्यासी इनसे बचे तो दरसे काशी. अब स्थिति एकदम विपरीत हो चुकी है और अब कहा जा सकता है सड़क सीवर और गन्दगी, इनसे बचे तो दरस ले वाराणसी।

पिछले तीन सालो से आज तक का परिवर्तन बताते है सबसे बड़ा यहाँ परिवर्तन आया है सडको का। पहले लोगो को सड़को के बीच गड्ढे दिखाई देते थे जो काशी वासियों के आदत में शुमार था मगर अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। अब काशी वासियों को खड्डों के बीच सड़क तलाशना पड़ता है. रिमझिम फुहारों से गर्मी और उमस से राहत मिली है लेकिन बारिश का मजा किरकिरा हो गया है। जलभराव और कीचड़ से सराबोर सड़कें मुसीबत का सबब बन गई हैं। खुदाई वाली सड़कों पर हालत अधिक खराब है।अधिकतरकॉलोनियों, मुहल्लों में भी रास्तों के कीचड़ और कचरे से पट जाने के कारण शहरियों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बजबजाते नाले-नालियां और गलियों में उफनाते सीवर से मानसून की शुरुआती बारिश में ही हालात नारकीय हो गए हैं।
शहर में दो दिन की लगातार बारिश से कई इलाकों में जलभराव से सांसत खड़ी हो गई है। गली-मुहल्लों की छोड़िए, मुख्य मार्गों पर भी हालात दुरुस्त नहीं हैं। पक्का महाल की गलियों में आईपीडीएस के तहत खुदाई के बाद रास्ते नहीं बनाए गए। वहीं, चौकाघाट और अर्दली बाजार महावीर मंदिर के पास खोदे गए गड्ढे जानलेवा बन गए हैं। महावीर मंदिर के पास दो तरफ के रास्ते बंद हैं। गोदौलिया चौराहे के पास सीवेज पाइप लाइन के लिए खुदाई कराई गई लेकिन अब तक सड़क दुरुस्त नहीं कराई गई। जबकि नौ जुलाई को गुरु पूर्णिमा और फिर दस जुलाई से सावन मेला शुरू होने के बाद सबसे अधिक भीड़ इस मार्ग पर होगी।
नाले-नालियों की सफाई न होने से सीवर उफना रहा है। बजरडीहा, कोनिया, लक्सा, गुरुबाग इलाके में भी कीचड़ और कचरे से पटी सड़कों पर बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। कैंट, रोडवेज और नई सड़क पर भी कीचड़ और जलभराव से लोग परेशान हैं। पिछले दिनों सावन मेले की तैयारियों के सिलसिले में यहां आए प्रमुख सचिव और डीजीपी ने निर्देश दिया था कि कांवरिया मार्गों को सात जुलाई तक पैदल चलने लायक हर हाल में बना दें लेकिन लगातार बारिश के चलते इक्का-दुक्का सड़कों को छोड़ बाकी कहीं काम शुरू ही नहीं हो पाया है। पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं का कहना है कि काम कराने के लिए बारिश थमने का इंतजार है।
लंबे समय से सफाई न होने की वजह से नालियां जाम हो गई हैं, जिसके चलते घरों से निकलने वाला गंदा पानी उफना कर सड़क पर बह रहा है। कई जगहों पर सीवर लाइन बिछाने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं और पाइप डालने के बाद उन्हें ठीक से भरा नहीं गया है। इन गड्ढों सही ढंग से न भरे जाने के कारण बारिश के पानी से गड्ढों के उपर की मिट्टी धंसती चली जा रही है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की संभावना है। गंदे पानी से चल कर आना-जाना लोगों की मजबूरी बन गई है। ट्रक अथवा बसें जब तेज गति से निकलती हैं तो गंदे पानी के छींटे राहगीरों के साथ ही दूकानों पर भी पड़ते हैं। बार-बार शिकायत करने के बाद भी नालियों की सफाई नहीं कराई जा रही, जिससे स्थानीय व्यापारियों में रोष पनपने लगा है। सीवर को नगर निगम वाराणसी सडको पर बहाने का प्रयास केवल इस कारण है कि जिसको देखो सब चिल्लाते है कि महंगाई बढ़ गई। गरीब भूखा मर रहा है, ऐसे अगर सीवर सड़क पर बहेगा तो सब समझ जायेगे कि काशी में कोई ऐसा नहीं जो भूखा मर रहा हो।
गलिया IDPS स्कीम में खुदी पड़ी है. खुदाई के बाद काम पूरा हो गया मगर गलियों का निर्माण नहीं किया गया है ठेके हो गए, काम होने का शिलान्यास हो गया मगर काम करने के लिए ठेकेदार तैयार नहीं है. अपने अगले भाग में दिखायेगे कैसे मुख्य अधिशासी अभियंता के ठेकेदारों पर विशेष वरदहस्त से काशी की जनता खुदी गलियों में अपने हाथ पैर चोटिल करवाने को मजबूर है.
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