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दरोगा नहीं बने तो टीचर बनने का दिया हाईकोर्ट ने निर्देश

मो आफताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में चयन होने के बाद दरोगा भर्ती 2011 में भी चयनित हुए ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का निर्देश दिया है जो दरोगा भर्ती परिणाम रद्द होने के बाद फिर टीचर बनना चाहते हैं। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दरोगा भर्ती  का चयन परिणाम रद्द कर दिया है।

कोर्ट ने नये सिर से लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर ग्रुप डिस्क्शन कराने का आदेश दिया है। शिवलखन सिंह यादव व कई अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल ने सचिव  बेसिक शिक्षा परिशद को निर्देश दिया है कि यदि संभव हो तो उसी विद्यालय में याचीगणों की नियुक्ति की जाए जहां उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यदि उस विद्यालय में पद रिक्त न हो तो किसी अन्य विद्यालय में नियुक्ति दी जाए। याचीगण का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित हुए थे। चार फरवरी 2015 को छह माह की ट्रेनिंग पर भेजा गया। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा आयोजित परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
उनको मौलिक पद पर नियुक्ति का आदेश मिलने वाला था परन्तु इसके पहले उनका चयन दरोगा भर्ती 2011 में भी हो गया। इसमें अंतिम रूप से चयनित होने के बाद वह प्रशिक्षण पर चले गए। प्रशिक्षण 22 नवम्बर 2016 तक चला। इस बीच अभिषेक कुमार सिंह की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दरोगा भर्ती लिखित परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया। इस कारण याचीगण सहायक अध्यापक के पद पर लौटना चाहते हैं। उनको नियुक्ति पत्र दिया जाए। कोर्ट ने सचिव लखीमपुर खीरी और कुशीनगर के याचीगण को उनकेे विद्यालय में या किसी अन्य विद्यालय में नियुक्ति देने का आदेश दिया है।
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