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कोर्ट का आदेश ठेंगे पर रख विवादित प्लाट पर शुरू करवाया काम

के डी ए ने कोर्ट का कोई भी आदेश  मन्ने से किया इनकार।
के डी ए और भूमाफिया की मिली भगत एक बार फिर हुई  बेनकाब।
रियाज़ अहमद रजवी
कानपुर के किदवाई नगर में केडीए ने 1982 में ज़मीनो का अर्जन किया था जिसमे आराज़ी नंबर 1440 नहीं था अब आराजी नंबर 1440 को भी केडीए अपनी बताकर उस पर प्लाटिंग कर  रहा है। जिस पर विवाद खड़ा हो गया है यह विवाद माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और इस पर कोर्ट  की तरफ से स्टे भी है लेकिन भूमाफियाओं की सांठ गाँठ और केडीए अधिकारियों की मिली भगत से आराजी नंबर 1440 पर यह कहकर  कब्ज़ा किया जारहा है कि यह आराजी नंबर 1440 नहीं है जबकि आराजी नंबर 1440 पर पीर मोम्मद ,  मजीद मोहम्म्द , हुसैन अंसारी व इमाम बक्श   03 01 1939 से काबिज़ है। इनके पास ज़मीन के कागज़ात है और कोर्ट का स्टे भी है लेकिन केडीए इसको मानने के लिए तैयार नहीं है। इतना ही नहीं कोर्ट ने इसकी ज़मीनी हकीकत को जान्ने के लिए एक कमीशन भी गठित किया है जिसकी रिपोर्ट आने से पहले ही भूमाफिया और केडीए अधिकारी इस पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा कररहे है जो माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना है।

कानपुर के किदवई नगर में  पीर मोम्मद, मजीद मोहम्म्द , हुसैन अंसारी व इमाम बक्श 03-01-1939 से 1225 वर्ग गज़ ज़मींन के बतौर मालिक व कब्जेदार है जिसका  आराजी नंबर 1440 जूही कला मोहोल रामचन्द्र स्थित है।  इस 1440 आराजी पर सन 1982 में केडीए के द्वारा आनावॉशयाक हस्तक्षेप किया जाने लगा तब पीर मोम्मद , मजीद मोहम्म्द , हुसैन अंसारी व इमाम बक्श  न्याय पाने के लिए सिविल कोर्ट चले गये जिसका फैसला 29-05-1988 को मालिक व् कब्जेदार पीर महोम्मद  के पक्ष में आया केडीए ने फैसले के खिलाफ 1990 में सिविल अपील डाली लेकिन 1997 को यह अपील खारिज कर दी गई।
अभी कुछ दिनों से नीतू सिंह अपने कुछ साथियों के साथ आता है और अपने आप को केडीए का अधिकारी बता कर जमीन खाली करने के लिए कहने लगा.  जब नीतू सिंह से बात की तो नीतू सिंह ने एक बार फिर आपने आप  को केडीए का अधिकारी बताया लेकिन जब हमने परताल की तो नीतू सिंह का पूरा सच सामने आगया।  नीतू सिंह छेत्र का बड़ा भूमाफ़िया है जो कि केडीए के अधिकारीयों से मिली भगत कर के जमीनों को कब्जा कर बेचने का काम करता है। सूत्रों से पता चला है कि नीतू सिंह इसी तरह कई प्लाटों पर अधिकारीयों से सांठ गाँठ करके सरकार को चपत लगा चुका है, खुद मोटी कमाई करता है और इससे जुड़े हुए अधिकारी भी फायदा उठाते हैं।
अब ज़रा इन तश्वीरों को देखिये जिसमे नीतू सिंह खुद को केडीए का आदमी बता रहा है।  केडीए का इंजीनियर विजय सिंह खुद मौके पर मौजूद है  और देखिये 1440 आराज़ी पर कैसे गुमराह कर रहा है। इंजीनियर विजय सिंह कब्जेदार से कहरहा है कि आराजी 1440 यह नहीं है 1440 आराजी स्वदेशी मिल में है जबकि इंजीनियर को यह बात अच्छी तरह मालुम है कि स्वदेशी मिल अलग आराजी है और वह एनटीसी की सम्पत्ति है। लेकिन वास्तविक स्वामी को गुमराह करके ज़बरदस्ती बेदखल करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि वादी के वकील ने माननीय न्यायालय के स्टे के आदेश और माननीय उच्च न्यायालय के कमीशन के आदेश को इंजीनियर को सुपुर्द कर कर  दिया जिस पर उस समय तो काम रोक दिया गया लेकिन वकील के जाते ही नीतू सिंह ने पुनः निर्माण कार्य शुरू क्र दिया जो सरासर कोर्ट की अवमानना है।
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