वाराणसी. वैसे वृद्धा आश्रम एक सभ्य समाज पर कलंक के तरह है. जहा दुनिया चाँद पर जाकर बस्ती बसाना चाहती है वही हमारे समाज में कुछ ऐसे भी है जिनके अपनों ने ही उनको देखना और पुछना बंद कर दिया है. ऐसे लोगो को आप सडको से लेकर वृद्धा आश्रमों में देख सकते है. वैसे तो वृद्धा आश्रम इस सभ्य समाज पर एक बदनुमा दाग सरीखा है मगर फिर भी समाज में ऐसे भवन है और वह आबाद भी है. हम रोज़मर्रा की अपनी भागमभाग वाली ज़िन्दगी में कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं देते है कि इन जगहों पर रहने वालो की भी आवश्यकताये होती है और उसकी पूर्ति हेतु उनके पास संसाधनों की कमी होती है. उनको सबसे अधिक आवश्यकता होती है चिकित्सा की क्योकि बुढ़ापे के शरीर में मर्ज़ भी अपने घर कर लेता है और उनको इसके लिये चिकित्सीय सहायता की भी आवश्यकता होती है.
इस अवसर पर नेत्रा जायसवाल ने हमसे बात करते हुवे कहाकि हमारे लिये सबसे ख़ुशी की बात यह है कि हमारे समाज के बुजुर्गो ने हमारे सर पर अपना हाथ रख कर हमको दुआ दिया है. हमको इससे अनमोल तोहफा और कही नहीं मिल सकता. समाज के लिये हमारी जिम्मेदारियों की पूर्ति केवल इससे और इतने से ही नहीं होगी. भविष्य में हम ऐसे काम और भी अपनी क्षमताओ के अनुसार करते रहेंगे. इस अवसर पर क्लब के अध्यक्ष मनोज कुमार जायसवाल, प्रदीप जायसवाल, गोपाल जायसवाल, अनिल जायसवाल, मनोज जायसवाल (राजघाट) आदि क्लब के पदाधिकारी उपस्थित थे.
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