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बलिया के भू- जल में घूलता जहर आर्सेनिक : समस्या एवं समाधान विषयक कार्यशाला का हुआ आयोजन

संजय राय.

बलिया के भू-जल में घूलता जहर आर्सेनिक की समस्या लाइलाज होती जा रही है। बलिया जनपद में आर्सेनिक का प्रभाव खासतौर से सोहांव, दुबहर, बेलहरी , बैरिया एवं रेवती विकास खण्डों के 55 गांवों में खतरनाक रूप धारण कर लिया है, जहां के भू- जल में आर्सेनिक की निर्धारित मात्रा 55 पी० पी० एम० से अधिक 100 से 200 पी० पी० एम० होने की पुष्टि हो चुकी है . आर्सेनिक के प्रभाव से बलिया में अब तक अनेक लोग अपनी जान गवां चुके हैं एवं 100 से अधिक लोग आर्सेनिकोसिस नामक बीमारी से पीड़ित हो चुके हैं। आर्सेनिक पीड़ित गावों के लोग न केवल शारीरिक एवं मानसिक कठिनाइयों का सामना कर रहे है, बल्कि सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से भी अलग होते जा रहे हैं।
उक्त समस्याओं से निजात दिलाने के संदर्भ में ही संयुक्त राज्य अमेरिका से आये विशेषज्ञों के एक दल द्वारा डी० पी० सिन्हा महिला महाविद्यालय बांसडीह में अभिनव पाठक के संयोजकत्व में महाविद्यालय द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन आज दिनांक 13 नवम्बर को किया गया, जिसमें यू ० एस० ए० से आए विशेषज्ञ जांन माइक वालेश, सुसन वालेश, पेगी मारीसन एवं रावर्ट के अलावा अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा , बलिया के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक , डा० राम गणेश उपाध्याय एवं डा० सुनीता चौधरी ने विशेषज्ञ के रूप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर कार्यशाला में अपने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए छात्राओं द्वारा पूछे गये जिज्ञासा का भी समाधान प्रस्तुत किया।
डा० पाठक ने बताया कि आर्सेनिक एक प्रकार की जहरीली रसायन है, जिसे” संखिया” भी कहा जाता है , जो प्राकृतिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों में मिलता है । बलिया में आर्सेनिक खासतौर से गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में भू-जल में मिलता है। बाढ़ के समय हिमालय के आर्सेनिक युक्त चट्टानों से जल के साथ आने वाला मलवा मैदानी क्षेत्रों में पहुंचता है , जिसमें निहित आर्सेनिक रिस रिस कर इस क्षेत्र के भू-जल में पहुंच जाता है और भू-जल को जहरीला बना देता है। यह आर्सेनिक भू-जल में 40 से 50 फीट की गहराई में पाया जाता है।यही कारण है कि कुंआ के जल में आर्सेनिक नहीं पाया जाता है , किंतु आज हम लोग कुंआ को भूल चुके हैं।यही नहीं जल को उबाल कर पीने से भी उसमें निहित आर्सेनिक समाप्त नहीं होता है। यही कारण है कि आर्सेनिक युक्त जल स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त ही हानिकारक होता है।
प्रो० जांन माइक वालेश ने बताया कि आर्सेनिक युक्त जल से छुटकारा दिलाने हेतु एक बड़ी परियोजना के तहत कार्यरत किया जा रहा है, जिसके तहत सर्व प्रथम बैरिया विकासखण्ड के आर्सेनिक ग्रसित गांवों का सर्वेक्षण कर उन्हें चिन्हित कर जल को शुद्ध करने हेतु संयंत्र लगाया जायेगा, जिसके माध्यम से बाजार से बहुत ही सस्ते दर पर
शुध्द जल उपलब्ध कराया जायेगा। प्रो० माइक ने बताया कि सर्वे के लिए अभिनव पाठक के निर्देशन में डी० पी० सिन्हा महिला महाविद्यालय बांसडीह की छात्राओं को सर्वे एवं जन जागरूकता हेतु इंटर्न बनाया जायेगा जब कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के भूगोल विभाग के शोधकर्ता अभिषेक कुमार प्रोजेक्ट के निदेशक होंगे। इण्टरनेशनल रोटरी क्लब द्वारा रीटरी करीब बलिया को प्रोजेक्ट को माननीय करने हेतु फंड उपलब्ध कराया जायेगा।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्रबन्धक अभिषेख आनन्द सिन्हा ,प्राचार्य, डा० पुष्पा सिंह एवं डा० हरिमोहन सिंह द्वारा भी अपने अपने विचार प्रस्तुत किए गये एवं आगंतुकों तथा विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया है।

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