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नगर पंचायत सिराथू सीट पर तो भाजपा को जोर का झटका जरा धीरे से लगा है.

तब्जिल अहमद 

कैशम्बी। भाजपा समर्थक चाहे जितना भी दंभ भर ले मगर कही न कही ज़मीनी हकीकत कुछ और ही नज़र आती है. पहले निकाय चुनावों में प्रदेश के नायब मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के घर की सीट भाजपा नहीं बचा पाये.  सिराथू नगर पंचायत सीट पर भाजपा कार्यकर्ता लगातार दंभ भर रहे थे कि भले कुछ हो मगर सीट तो भाजपा जीत रही है. इस प्रकार सिराथू सीट पर एक बार फिर भाजपा को जोर का झटका ज़रा धीरे से लगा है और भाजपा के हाथो से सीट फिसल गई. निर्दल प्रत्याशी के बाजी मारने के बाद एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। बी जे पी के कई कद्दावर नेताओं ने अंदर गलियारे से संपर्क में रहकर सीना ठोक कर कहते फिरते थे, परिणाम चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन चेयरमैन तो भाजपा का ही रहेगा।

चर्चाओं पर यकीन लोगों को इसलिये भी लग रहा था कि कुछ माह पहले नगर पंचायत में अनियमितताओं को लेकर सिराथू विधायक ने नगर पंचायत की कई आलमारियों को सीज कर दिया था लेकिन अंदरूनी गलियारे में सेटिंग के चलते दुबारा फिर बहाली हो गयी। वहीँ इन्ही अनियमितताओं को लेकर भाजपा नेताओं ने लगभग एक सप्ताह ईओ के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन कहते है जब घर के ही किसी सदस्य का हाथ विरोधी के सिर पर हो तो कोई क्या कर सकता है।

इसमें सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित कराने वाली बात ये रही कि 16 दिसम्बर को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी मुख्यालय, लखनऊ के डा0 लोहिया सभागार में नवनिर्वाचित नगर निगम के पार्षदों, नगरपालिका परिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्षों को सम्बोधित कर रहे थे। जिसमे सिराथू नगर पंचायत अध्यक्ष भी मौजूद रहे।

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