गोपाल जी/ साकिब अहमद
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर रांची की सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। देवघर चारा घोटाला केस में लालू यादव को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। जबकि बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया है। उनके अलावा ध्रुव भगत को भी बरी कर दिया गया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद ये तय हो गया है कि लालू यादव अब कोर्ट रूम से सीधे जेल भेजे जाएंगे। हालांकि, उनकी सजा पर अभी फैसला नहीं दिया गया है। कोर्ट 3 जनवरी को सजा पर सुनवाई होगी
6 अभियुक्त बरी
लालू यादव और पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा समेत सभी 22 अभियुक्त कोर्ट रूम पहुंचे थे। इनमें जगन्नाथ मिश्रा समेत 6 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया है। जबकि बाकी सभी को दोषी पाया गया है। लालू यादव अब कोर्ट से सीधे रांची की जेल ले जाए जाएंगे।
ये है पूरा केस
साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकालने का आरोप है. इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है, जिनमें से एक देवघर कोषागार से जुड़ा केस है। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था। आज लगभग 20 साल बाद इस मामले में फैसले की घड़ी आई है। इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है।
ये हैं आरोपी
इस केस में लालू प्रसाद के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. के के प्रसाद तथा शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे। सभी 38 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि तीन सीबीआई के गवाह बन गए हैंं। वहीं दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी। इस प्रकार इस मामले में आज अदालत ने कुल 22 आरोपियों के खिलाफ ही अपना फैसला सुनाया। शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना फैसला 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था
कितनी हो सकती है सजा
लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में यदि लालू और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की कैद की सजा होगी। हालांकि, सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती
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