साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 351 वां प्रकाशोत्सव कानपुर में सोमवार को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। एक दूसरे को संगत लख-लख बधाइयां दे रही है। मुख्य समारोह स्थल मोतीझील में सुबह से ही लाखों की संगत उमड़ पड़ी। मुख्य पंडाल में गुरु महाराज जी का आशीर्वाद लेने के बाद संगत ने गुरु का अटूट लंगर छका। ‘सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुरजा-पुरजा लड़ मरे, कबहुं न छाड़े खेत’ शबद सुनते ही संगत ‘वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु की फतेह’ और ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के जयकारे लगाने लगी।
मोतीझील में शनिवार से चल रहे तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव का सोमवार को अंतिम दिन है। इसमें भाई बलदेव सिंह बुलंदपुरी, भाई कुलदीप सिंह राजा, भाई तजिन्दर सिंह खन्ना वाले, भाई जतिंदर पाल सिंह पटियालावाले और भाई भूपिंदर सिंह गुरदासपुरी ने शबद-कीर्तन कर श्रद्धा की धारा बहाई। ज्ञानी बलदेव सिंह, पाऊंटा साहिब वाले ने सिख इतिहास से रू ब रू कराया।
प्रकाशोत्सव पर सिख परिवार सज-धज कर गुरु महाराज के सामने मत्था टेकने आए। दीवान पंडाल के बाहर मेले जैसा माहौल था। यहां बच्चे सज-धज कर घुड़सवारी कर रहे थे। श्री गुरु सिंह सभा, लाटूशरोड की निगरानी में हुए इस तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव में लंगर की सेवा में जत्थेबंदियां और सोसाइटियां सेवा कार्य में जुटी हुई थीं। सभा के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह लार्ड ने बताया कि प्रकाशोत्सव पर करीब तीन लाख की संगत के लिए लंगर की व्यवस्था की गई है। यदि संगत की संख्या बढ़ी तो इसके लिए भी पूरी व्यवस्था है।
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