मऊ। अंसारी बधुओं के युवराज अब्बास अंसारी के सामने 2018 में राजनैतिक कैरियर को लेकर काफी चुनौतिया है। इन चुनौतियों को पाकर ही अब्बास अंसारी मिशन 2019 को पूरा कर सकते है। अब्बास अंसारी ने 2017 विधानसभा चुनाव को बड़े दमदारी से घोसी विधानसभा से लड़ें, लेकिन उनका परिवार कई मोर्चो पर मुहम्मदाबाद, मऊ में चुनाव लड़ रहा था। जिसके वजह से पूरा दमखम अंसारी बंधु नही लगा सकें और वह चुनाव हार गयें। हारने के बाद अब्बास अंसारी नई ऊर्जा से हाथी पर सवार होकर निकाय चुनाव लड़े।
इस चुनाव में इनको काफी हद तक सफलता मिली। इस सफलता से लबरेज 2019 के रेस में दौड़ने की कवायद शुरू कर दिये है। मिशन 2019 में उनको भाजपा-सपा से कड़ी टक्कर मिलेगी। राजनैतिक सूत्रों के अनुसार अब्बास अंसारी मुस्लिम और दलित के बाद जब तक यादव अदर्स बैकवर्ड समाज साथ नही देगा तब तक 2019 के रेस में सफलता मिलना असंभव दिखाई दे रहा है। यादव अदर्स बैकवर्ड को हाथी पर चढाने के लिए बसपा के मुखिया मायावती व स्थानीय स्तर पर जब तक कोई योजना नही बनेगी तब तक भाजपा के रथ को अब्बास के लिए रोकना मुश्किल होगा। अब देखना यह है कि आने वाले समय में यादव अदर्स बैकवर्ड को हाथी पर बैठाने के लिए अब्बास के प्रयास में कितनी सफलता मिलती है।
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