कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में स्थित आइ बैंक में 400 ऐसे नेत्रहीनों ने अपना पंजीकरण कराया है जिन्हें ‘रोशनी’ का इंतजार है। ऐसे में स्थिति यह है कि नेत्रदान करने वालों की संख्या कम है।
दुनिया की पूरी खुशियां हो, लेकिन दिखायी न दे तो खुशियां अधूरी रह जाती है। वर्ष 1971-72 में डा. काटजू रोड पर एमडी नेत्र चिकित्सालय में आइ बैंक की स्थापना हुई थी। यह बैंक ऐसे लोगों के लिए लाभकारी है जो अपनी आंखों से दुनिया नहीं देख पाते। इसमें आंखों का कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। अभी भी यहां 400 नेत्रहीन आंखों की ‘रोशनी’ पाने के चाहत में आस लगाए हुए हैं।
एक नजर में यह आंकड़ें
वर्ष 2015-2016 में यहां 64 नेत्रहीनों के आंखों की कार्निया का प्रत्यारोपण हुआ। 2016-17 में यहां 72 लोगों ने अपना नेत्रदान किया, जिससे 72 नेत्रहीनों को रोशनी मिल गई। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 अभी तक 30 नेत्रहीनों का कार्निया प्रत्यारोपण किया गया, जबकि 400 लोग अभी प्रतीक्षा सूची में हैं।
यह है पूरी प्रक्रिया
कुछ लोग आइ बैंक में नेत्रदान करते हैं। नेत्र विशेषज्ञ आंख के कार्निया को निकालकर नेत्रहीनों में लगा देते हैं। यह निश्शुल्क होता है। इसके लिए लोग यहां पंजीकरण कराते हैं। जिस तरह से नेत्रदान में आंखें उपलब्ध होती है, उसी क्रम में पंजीकरण कराने वालों को बुलाकर कार्निया प्रत्यारोपण कर दिया जाता है।
‘जिस तरह नेत्रदान से कार्निया प्राप्त होता है उसी क्रम में पंजीकरण कराने वाले नेत्रहीनों की आंखों में कार्निया का प्रत्यारोपण कर दिया जाता है। जो लोग भी मरणोपरांत अपना नेत्रदान करना चाहते हैं वह आइ बैंक में सूचना दे सकते हैं।’
-डा. एसपी सिंह, डायरेक्टर, मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय।
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