अनिल कुमार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से एक हजार और पाँच सौ के नोटों को बंद कर दिया था, लेकिन वो घोषणा सिर्फ कुछ खास तबके के लोगों के लिए था । जो मध्यम वर्ग जिनकी न पहुँच बैंक में थी और न ही काला धन ही उनके पास था । उन्हीं लोगों के लिए यह नोटबंदी लागू हुई थी । अगर आयकर विभाग जरा सी भी अपने कुंभकर्णी नींद तोड़कर सभी बैंकों पर निगरानी रखती तो यह शौचालय निर्माण घोटाला एक साल पहले ही उजागर हो जाता । लेकिन ऐसा नहीं हो सका ।
इस शौचालय निर्माण घोटाला में दिन प्रतिदिन नए नए खुलासे हो रहे हैं । जाँच के दौरान यह बात सामने आई है कि घोटालेबाजो ने नोटबंदी के दौरान भी जमकर खेल किया । इस बात का प्रमाण इस जाँच के अनुसंधानकर्ता व टाउन डीएसपी एसए हाशमी ने एक ऑडियो क्लिपिंग के आधार बनाते हुए बताया कि शौचालय निर्माण घोटाला मे फँसे एक एनजीओ संचालक के सचिव सुमन सिंह और ब्लाॅक को – ऑर्डिनेटर संजय कुमार का आपस मे बातचीत यह दर्शाता है कि नोटबंदी में भारी पैमाने पर बैंक के मिलीभगत से फर्जी खाते खुलवाये गये और उस खाते से प्रतिदिन पाँच पाँच लाख की जमा और निकासी होती थी । जो इस बात का सूचक है कि हमारे देश में जहाँ उस समय नोटबंदी के कारण कितने लोगों की मौत हुई जो कि बैंक के बाहर लाइन में खड़े रहते थे और बैंक के अंदर यह काला धंधा चल रहा था ।
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