वाह रे पत्रकारिता – दिखाया सुखी भांग का वीडियो, बताया है गाँजा, डर दिखा किया वसूली

वाराणसी. कहते है पत्रकारिता एक मिशन है समाज के सामने सच को दिखाने का. मगर इस क्षेत्र को पेशा बना कर कुछ लोगो ने पत्रकारिता को ही बदनाम कर रखा है. पिछले दो दिनों से एक खबर लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि आदमपुर थाना क्षेत्र के दो पत्रकारों पर अवैध वसूली का मामला दर्ज हुआ है. इसके पहले कुछ लोगो द्वारा एक दूकान का वीडियो वायरल किया गया था जिसमे बताया गया था कि अमुक दूकानदार भाग के ठेके के आड़ में गांजा बेच रहा है और आदमपुर पुलिस का इस बिकवाली में कथित तौर पर संरक्षण का आरोप लगाया गया था.

खबर वायरल ही नहीं हुई बल्कि इसको उच्चाधिकारियों को ट्वीटर के माध्यम से संज्ञान में भी दिया गया. फिर क्या था, ऊपर से भी दबाव और खबर का असर, सुबह दोपहर शाम रात की चिंता के बगैर आदमपुर पुलिस लग गई तलाश में कि कहा आखिर गांजा ऐसे खुल्लम खुल्ला बिक रहा है. मगर 3 दिन गुजरने के बाद भी कोई सुराग नहीं लग सका कि आखिर कहा यह गाँजा बिक रहा है. भाग के ठेके की लगातार कई दिनों तक तलाशी हुई मगर रिज़ल्ट जीरो आया सामने. पुलिस इसकी जड़ में जाने को परेशान थी कि अचानक जिसका वीडियो वायरल हुआ था वह खुद थाने पहुच गया और शिकायत का पिटारा लेकर कि साहब हमारा कथित वीडियो दिखा कर कुछ पत्रकार मुझसे धन की वसूली कर रहे है. पहले तो आदमपुर पुलिस ने खूब ढंग से उससे पूछताछ किया. मुखबिरों के जाल से इसकी सच्चाई निकालने की कोशिश हो रही थी और अचानक कथित आरोपी आकर थाने पर खुद खड़ा हो और कह रहा हो कि साहेब ये लोग वसूली कर रहे है.

पीड़ित और कथित गाँजा बेचने वाले पहलवान की शिकायत थी कि कुछ पत्रकार उससे तीन हज़ार रुपयों की वसूली कर गये है. आरोप यह भी गंभीर था तो थाना प्रभारी ने शिकायतकर्ता की शिकायत पंजीकृत कर लिया और इसकी भी जाँच उसी विवेचक को दिया जिसके पास कथित गाँजा बिक्री की जाँच थी. घटना अथवा कथित घटना मेरे निवास क्षेत्र के आस पास की होने के वजह से मुझको भी एक दिलचस्पी हुई कि आखिर इस गांजा बिक्री का असली सच है क्या.

सुखी भांग की पत्ती को बताया गांजा है –

मै भी उस वीडियो और उसके जुड़े तारो को जोड़ने की कोशिश पिछले दो दिनों से कर रहा हु. लगभग रोज़ ही उस दूकान के सामने से मेरा गुज़र होता होगा मगर मैंने कभी पलट कर देखा नहीं कि वहा क्या चल रहा है मगर दो दिनों से नज़र उठा कर देखने भी लगा, आखिर हकीकत सामने आ ही गई.

क्या है असली सच.

एक युवक चंद सिक्के लेकर वहा जाता है और एक पुडिया में कुछ लेकर जाने लगता है तो मैंने उसको आवाज़ देकर अपने पास बुलाया और पुडिया के बारे में जानकारी हासिल किया. हमारे बगल में बच्चा गुरु खड़े थे जो भोलेनाथ के भक्त है. पुडिया खुलवा कर देखा तो जो फोटो में आप देख रहे है वह था पुडिया में. यानि सुखी हुई भाँग की पत्तिया, जब जानकारी प्राप्त किया तो मालूम पड़ा कि देखने में दूर से गाँजा और भांग की सुखी पट्टी लगभग एक जैसी लगती है. इस पत्ती को पीस कर भाँग बनती है और उसका सेवन किया जाता है. अक्सर लोग इन पत्तियों को ले जाते है और घर में पीस कर कई दिनों तक इसका सेवन करते है. देखने में दोनों पत्तियाँ लगभग एक जैसी लगती है. इसको ही दिखा कर कहा गया था कि गांजा है.

क्या था वीडियो में जो हुआ वायरल

वायरल वीडियो में एक युवक दूकान के पास जाता है और कुछ पैसे देकर एक पुडिया लेकर आता है. पुडिया खोल कर देखता है और कोई पूछता है कि क्या है ये ? इसके जवाब में वह कहता है भांग है. इस एक लाइन से पूरी खबर तैयार होती है कि आदमपुर थाना क्षेत्र में भंग के ठेके पर गांजा बिक रहा है.

क्या कहते है नियम –

नियमो के अंतर्गत देखे तो किसी खबर अगर किसी विभाग की कार्यशैली पर उंगली उठा रही है तो उस खबर के सम्बन्ध में सम्बंधित अथवा विभाग के उच्चाधिकारियों से उनका वर्जन भी लिया जाता है, मगर यहाँ वर्जन तो छोड़े साहब यहाँ सीधे थाना क्षेत्र की पुलिस को ही कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया. हम इस प्रकार के शब्द तो नहीं कहेगे कि तेजतर्रार थाना प्रभारी अथवा न्यायप्रिय फला अधिकारी, क्योकि यह खबर से ऊपर जाकर कही न कही से किसी और तरफ इशारा करने लगेगा, मगर इतना ज़रूर कहना है कि शिकायत पर निष्पक्ष और बिना दबाव के जाँच ज़रूर होनी चाहिये.

कैसे होता है फर्क मालूम –

इस सम्बन्ध में हमसे बात करते हुवे आदमपुर थाना प्रभारी अजीत मिश्रा ने बताया कि गाँजे के पकडे जाने पर विभाग द्वारा उसकी लेबोरेट्री में जाँच करवाया जाता है, गांजे और भांग की शक्ल सूरत एक जैसे होने के कारण इसको केवल लेबोरेट्री द्वारा ही प्रमाणित किया जाता है. उसके बाद ही पुलिस आगे की कार्यवाही करती है, इस खबर के चलने के बाद हम लोगो द्वारा हर प्रकार से प्रकरण की विवेचना किया गया मगर कही कुछ सच नहीं सामने आया है.

 

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