वाराणसी. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र कई टीवी चैनलों पर अक्सर चमकता दिखाई दे रहा होता है. सोशल मीडिया पर कुछ मायावी दुनिया की सैर करने वाले ऐसे भी है जो विदेशो की तस्वीरे वायरल करके दिखाते है कि देखिये कायाकल्प हो गया है काशी का. मगर धरातल पर कार्य की अगर समीक्षा किया जाये तो प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की जनता रोज़ मर्रा की मुलभुत सुविधाओ हेतु तरस रही है. जगह जगह बहते सीवर, फटी पाइप लाइन, बड़े और छोटे गड्ढो से पटा पड़ा शहर बनारस आज अपने अस्तित्व को खोता दिखाई दे रहा है. सच मायने में मूल भुत ज़रुरतो की पूर्ति तक वाराणसी में नहीं हो पा रही है. ख़ास तौर पर स्वच्छ भारत अभियान के तहत वाराणसी में केवल कैमरा और खबरों की सुर्खिया है. आज हम आपको वाराणसी के सबसे प्राचीन इलाके की सैर कराने की सोच रहे है. यह इलाका है दालमंडी.
पुरातन काल से दालमंडी हमेशा प्रसिद्ध रहा है. अगर वर्त्तमान में देखा जाये तो शहर की क्या पूर्वांचल की सबसे बड़ी मार्किट के तौर पर दालमंडी मशहूर है. सूई से लेकर हर सामान आपको इस क्षेत्र में मिल जायेगा, हर वेरायटी से लेकर हर प्रकार के सामानों को लेने के लिये आपको अलग अलग मार्किट में नहीं जाना होगा बल्कि इस मार्किट में ही सब कुछ उपलब्ध होता है और वह भी एक साथ कई दुकाने हर आइटम की होती है.
मगर इस क्षेत्र की समस्या है यहाँ की सीवर लाइन जो जर्जर हो चुकी है. शहर के मध्य और पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी में रोज़ मर्रा ही दुकाने खुली रहती है. हर धर्म के और हर वर्ग के लोग यहाँ से खरीदारी करते है. इस क्षेत्र में सीवर लाइन जर्जर हो चुकी है. लगभग चार साल पहले इस क्षेत्र के नागरिको और व्यापारियों ने इसके लिये एक धरना प्रदर्शन भी किया था. तत्कालीन एक मंत्री ने भी इलाके में आकर इस सीवर की समस्या के जड़ से निस्तारण हेतु आश्वासन दिया था. मगर साहब समय गुज़रता गया और आश्वासन तो आश्वासन होता है. यह आश्वासन भी आश्वासन तक ही सीमित रहा और आज तक समस्या का निदान नहीं हुआ. आज भी यह क्षेत्र सीवर की समस्या से ग्रसित है. सीवर यहाँ नदियों की तरह सडको पर बह रहा है और इसी गंदे पानी में लोग उछाल कुद्दी मारते हुवे चलने को मजबूर है.
ज्ञातव्य हो कि वर्त्तमान विधायक और मंत्री नीलकंठ तिवारी के व्यक्तिगत आवास के वाकिंग डिस्टेंस पर यह इलाका है. वही पूर्व सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे शकील अहमद बबलू भी इसी क्षेत्र से सम्बंधित है. और पास में ही उनका भी आवास है, मगर इलाके की यह समस्या शायद वर्त्तमान मंत्री जी और पूर्व मंत्री जी को कभी नज़र ही नहीं आई होगी. पूर्व पार्षदों के कार्यकाल पुरे हो चुके है और वर्त्तमान पार्षद भी शपथ ग्रहण कर चुके महीने पुराने पार्षद हो चुके है मगर समस्या के निदान हेतु कोई प्रयास करता नहीं दिखाई दे रहा है. आम व्यापारी इस समस्या से अपने चौपट होते कारोबार को देख कर आंसू बहा रहा है. मगर नगर निगम वाराणसी और उत्तरदाई अधिकारी इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे है.
आज से चार दिन पहले स्थानीय अधिकारियो से बात करने पर ज्ञात हुआ था कि इलाके में समस्या का मौजूदा हालात में निस्तारण दो दिनों में करवा दिया जायेगा मगर निस्तारण आज तक नहीं हुआ और हालात बद से बदतर होते जा रहे है. अब देखना है कि जनप्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन कब जागता है
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