कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद । देवरिया जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद पैरोल पर नहीं छूट पाएंगे। मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मिथलेश कुमार तिवारी ने अर्जी खारिज कर दी। अदालत के इस फैसले से अतीक को झटका लगा है। पूर्व सांसद के अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष तर्क रखा कि अभियुक्त फूलपुर संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हैं। उनके परिवार में कोई बालिग नहीं सदस्य नहीं है, लिहाजा 27 फरवरी से मतदान दिवस 11 मार्च तक उनका पैरोल मंजूर किया जाए। कोर्ट ने अभियोजन व बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तर्क सुनने के बाद आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था के अनुसार पैरोल की सुविधा सिर्फ उसे है, जो सजायाफ्ता है।
अतीक अहमद का मुकदमा अभी विचाराधीन है, वे सजायाफ्ता नहीं हैं। अदालत में इलाज के संबंध में पेश की गई अर्जी में कहा गया कि वह न्यायिक अभिरक्षा में देवरिया जेल में बंद हैं। इलाज के लिए प्रशासन मदद नहीं दे रहा है। बीमारी के बारे में बताया गया कि हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से ग्रसित हैं। बचाव पक्ष की ओर से यह भी बताया गया कि देवरिया जेल के मेडिकल बोर्ड ने इलाज के लिए अपनी रिपोर्ट में एसजीपीजीआइ लखनऊ के लिए रेफर किया है। जेल अधीक्षक को आदेशित किया जाए कि उन्हें लखनऊ भेजें। दलील सुनने और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने अपने निष्कर्ष में पाया कि डॉक्टरों की रिपोर्ट जेल मैनुअल के अनुसार नहीं है। इस पर अदालत ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
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