निघासन खीरी :- भगवान ने इंसान को बनाया जो अपने दुख दर्द को बोलकर बयां कर सकता है मगर जानवर जो न बोल सकते है न ही अपने दुख दर्द को लोगों के सम्मुख प्रकट कर सकते है जिससे आये दिन जानवर मरते नजर आ रहे है।
इन दिनों यदि किसी गोवंसी पशु पर अत्याचार होता है तो गोरक्षा दल वाले जमकर हंगामा काटते है और ये काफी हद तक सही भी होता है क्योंकि बेजुबान जानवर पर अत्याचार गलत बात है मगर बात तब बिगड़ती है जब कही रोड पर एक किनारे कोई गाय बीमार हालात में कई दिन से पड़ी हो और लोग उसे देख कर भी अनदेखा करें यहाँ तक इस बात की सूचना गोरक्षा दल वालों को दे दी जाए मगर गोरक्षा दल की तरफ से भी उस बेजुबान जानवर के लिए कोई मदद न कि जाए तो गोरक्षा दल पर भी उंगली उठना मुनासिब है।
जी हाँ एक ऐसा ही मामला तहसील निघासन का संज्ञान में आया है जहाँ एक गाय कई दिनों से बीमार हालत में पड़ी जिसकी सूचना गोरक्षा दल को भी दी जा चुकी है मगर अभी तक गोरक्षा दल वालों ने उस बेजुबान जानवर की तरफ मुड़ कर भी नही देखा जिससे वो अपनी बदहाल स्थित पर आंशू बहाती हुई नजर आ रही है। वाकई गोरक्षा दल की एक घोर लापरवाही सामने आई है।
जब मौका ज़रा सा भी मिलता है तो यही गोरक्षा के नाम पर सडको पर तांडव होता है. पीट पीट कर लोगो को मार दिया जाता है. सब कानून व्यवस्था अपने हाथो में लेकर नियमो की धज्जिया उड़ाई जाती है. अब वह सब गोप्रेम कहा गया इन कथित गौरक्षाको का. कहा सो रही थी फिर वह आस्था जो सडको पर तांडव करती है मगर एक मरती हुई गाय को नहीं बचा सकी. क्या सब कुछ बस उपद्रव के लिये है या फिर काम करने और सत्यता के धरातल पर गौरक्षा और गौसेवा करने की बात से ही वह सब जोश ठंडा पड़ गया.
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