संजय ठाकुर
मऊ : सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी क्षेत्र में पॉलिथीन की थैलियों का गिलासो के प्रयोग में कोई कमी नहीं आ रही है।जिससे वातावरण प्रभावित हो रहा है समय समय पर पर्यावरण संरक्षण के मध्य नजर पालीथिन प्रदूषण के भयंकर परिणामो को समझाने की कवायद की जा रही है परंतु इस प्रभाव का क्रेता व विक्रेता पर कोई असर नही पड़ रहा है
इस सम्बंध में मशहूर कवि व चिकित्स्क डॉक्टर नुरुल हसन उस्मानी का कहना है कि पालीथिन को खुले में जलने से हानिकारक गैसे निकलती है जिससे मनुष्य को भयंकर विमारी की होने की संभावना बनी रहती है।तथा जानवर इसको निवाला बनाकर अपने परिजनन की समता को कम कर लेते है। इसके लिए ग्राहक व दुकानदार दोनो ही दोषी है सरकार को इस सम्बंध में ठोस कदम उठाना चाहिए जब कि हम सब लोग जानते है कि पालीथिन मनुष्य के लिए कितनी खतरनाक है सरकार को इसपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाकर एक पैमाना निर्धारित कर देना चाहिए।
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