गाज़ियाबाद. लोनी संवाददाता कहते हैं जल ही जीवन है लेकिन लोनी के ट्रोनिका सिटी क्षेत्र का एक गांव ऐसा भी है जहा जल ही अभिशाप बना हुआ है। ग्रामीणों को निराश करने वाला यह जल किसी बरसात का जल नहीं, बल्कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित जल है। ग्रामीणों द्वारा अनेक बार शिकायत करने के बावजूद आजतक इस जल से उत्पन्न जानलेवा बीमारी व अन्य घातक गंभीर समस्याओं का कोई निस्तारण नहीं हो सका है। परिणाम स्वरुप गांव के अधिकांश लोग पलायन कर चुके हैं और कुछ की तैयारी है।
देश की राजधानी दिल्ली से सटे लोनी के ट्रोनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थित यह गांव लुतफुलापुर नवादा के नाम से जाना जाता है। जिसका क्षेत्रफल धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण गांव से सटकर बह रहा प्रदूषित नाला है। जिससे बहकर आ रहे प्रदूषित पानी के कारण गांव के अधिकांश हैंडपंपों वह नलकूपों से जहरीला पानी आने लगा है। जिसके पीने से यहां ग्रामीण जानलेवा बीमारी के शिकार हो रहे हैं।
कई लोग सो चुके मौत की नींद
उक्त प्रदूषित जल से फैलने वाली बीमारियों के कारण अबतक गांव के लगभग आधा दर्जन लोग मौत की नींद सो चुके हैं। जिनमें सतपाल पुत्र सलमान, किशनपाल पुत्र मंगु, तारा चंद पुत्र मामराज, रामकिशन पुत्र फुल सिंह व दयाराम पुत्र मोहनलाल आदि शामिल है। बताया जाता है कि कई वर्ष पूर्व जांच के दौरान 8 फुट गहरे भू मार्ग का जल भी प्रदूषित पाया गया था। जिसकी पुष्टि जलनिगम द्वारा कराई गई टीम इंडिया मार्का हैंडपंप ने की थी। जिनकी रिपोर्ट के अनुसार हैंडपंपों से निकलने वाला बदबूदार पानी पीने योग्य नहीं पाया गया था। जो थोड़ी देर बाद ही पीला हो जाता है।
गांव की उक्त गंभीर समस्याओ के प्रकरण में अन्य जानकारी हेतु जब कुछ ग्रामीणों व ग्राम प्रधान से बातचीत हुई तो कुछ और अन्य तथ्य भी खुलकर सामने आए- वर्षों पूर्व गांव की बदहाली का मामला एक बार क्षेत्रीय विधायक रहे मदन भैया द्वारा विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। जिस पर कार्रवाई करते हुए खेकड़ा की लगभग 14 हथकरघा फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया था। मगर रसायन युक्त पानी बहना आज तक नहीं रुक पाया है।
गांव के उक्त प्रदूषित तालाब व नाले में आए दिन पशुओं तथा अज्ञात लोगो के शव मिलते रहते हैं। जिनका पता लाशों के ऊपर आने व बदबू फैलने के बाद ही लग पाता है। प्रदूषित जल का असर गांव के इतने गहरे भू तल तक पहुंच चुका है। कि जलनिगम द्वारा की गई जांच के दौरान 160 फुट गहराई तब भी इसका असर मिला था। गांव की बदहाली के मामले में कई बार संबंधित अधिकारियों को शिकायत की गई लेकिन हरबार आश्वासन के अलावा आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। और समस्या जस की तस बनी हुई
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