गाज़ीपुर। दंतेवाड़ा नक्सली हमले में शहीद हुए अर्जुन राजभर की एक ख्वाहिश थी कि उनका बेटा भी पढ़ लिख कर फोर्स जॉइन करे, ये बात उनके बारह साल के बड़े बेटे अभय ने मिडिया को बताया। आज वो पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद अर्जुन राजभर का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ जिला मुख्यालय के गंगा श्मशान घाट पर हुआ। इस दौरान शहीद को मुखाग्नि उनके पुत्र अभय राजभर ने दिया।
बता दे कि 21 मई की देर शाम शहीद अर्जुन राजभर का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव जिले के शादियाबाद थाना इलाके के बरईपारा गांव पहुचा। जहां पर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के साथ प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री अनिल राजभर के साथ सीआरपीएफ डीआईजी, जिलाधिकारी के०बाला जी और एसपी सोमेन वर्मा, पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह, डर. बीरेंद्र यादव, नन्हकू यादव, कादिर रायनी, जोगेंद्र सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह के अलावा काफी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे। वही शहीद के पार्थिव शरीर के साथ शहीद की पत्नी अपने बेटे और बेटियों के साथ गांव पहुचे। शहीद के पार्थिव शरीर पहुचने के बाद शहीद की शहादत पर ग्रामीणों को गर्व हो रहा था तो परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था।
पत्नी को 20 व मां के नाम 5 लाख का चेक मिला
वही राज्यमंत्री अनिल राजभर के द्वारा शासन द्वारा शहीद की पत्नी को 20 लाख और शहीद के माँ-बाप को 5 लाख का चेक दिया गया। चेक देने के बाद शहीद के पार्थिव शरीर को जिले श्मशान घाट लाया गया। जहां उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान से किया गया।
गाज़ीपुर श्मशान घाट पर सरकार की तरफ से मौजूद राज्यमंत्री अनिल राजभर ने बताया कि अर्जुन राजभर के शहादत से सबको गर्व है उनके गांव में और उनके परिवार के विकास के लिए सरकार क्या कर सकती है उसको देखा जा रहा है शहीद के नाम पर पार्क और मूर्ति भी लगाने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जो नक्सली हमले हो रहे हैं उसका समाधान विकास से ही है। वहीं उन्होंने कहां की ये बहुत ही कायराना नक्सली हमला है घृणित हमला है, हम नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की बात कर रहे हैं लेकिन जो जिस भाषा में समझेगा उसको उसी भाषा में समझाने का काम किया जाएगा।
पूरे परिवार को अर्जुन की शहादत पर है गर्व
शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान शहीद के पिता बलिराम राजभर ने बताया कि मुझे गर्व है मेरे बेटे की शहादत पर। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने पढ़ा लिखा कर सरकार को दे दिया और सरकार मेरे बेटे को चाहे जैसे उपयोग किया लेकिन मुझे गर्व है। मेरी मांग है की सरकार मेरे परिवार में किसी एक को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता दी जाए। वही शहीद के बड़े भाई रामाश्रय ने बताया कि मेरे भाई के बेटे को नौकरी दी जाए और उनके परिवार में आर्थिक सहायता दी जाए वही शहीद के बेटे अभय राजभर ने बताया कि मेरे पापा की ख्वाहिश थी कि पढ़ लिखकर मैं भी पुलिस बनू मैं उनके सपने को साकार करना चाहता हूँ।
वहीं हमेशा मीडिया की सुर्खियों में छाए रहने वाले मंत्री ओमप्रकाश राजभर आज बहुत शांत और दुखी दिखे हैं विपक्ष पर जरूर आरोप प्रत्यारोप के अवसर तलाशने की बात कहे और शहीद के परिवार को हर संभव मदद करने की बात कही। उनके साथ उनके क्षेत्रीय विधायक त्रिवेणी राम और अन्य लोग भी गांव पर मौजूद रहे।
शहीद अर्जुन के पार्थिव शरीर गांव पहुचने से लेकर अंतिम संस्कार तक मुख्यमंत्री के विशेष दूत के रूप में अनिल राजभर शहीद परिवार के करीब नज़र आये तो वही बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर दूर नज़र आये। जब शहीद परिवार को राज्यमंत्री के द्वारा चेक दिया जा रहा तो कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर मौके पर मौजूद होने के बाद भी चेक देने के दौरान साथ नज़र नही आये। हालांकि शहीद के पैतृक गांव से श्मशान घाट गाज़ीपुर तक काफी संख्या में लोग शहीद अर्जुन राजभर को श्रद्धांजलि देने के लिए खड़े नजर जरूर आए।
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