कमलेश कुमार
अदरी/मऊ : प्राकृतिक से जितना ही छेडछाड किया जाएगा उतना व्यक्ति दिन ब दिन अस्वस्थ होता जाएगा। प्रकृति ने प्रत्येक मौसम के लिए उसका बेहतर समाधान भी दिया है, जरूरत है उसके प्रयोग की। चिकित्सा विज्ञान का मानना है कि पेट की बीमारियों तथा मधुमेह के रोगियों के लिए चने का सत्तू रामबाण है।
आयुर्वेदाचार्य डा. फेकू त्रिपाठी का कहना है कि चने के सत्तू का सेवन खासकर गर्मी के मौसम में पेट की बीमारियों व शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अदरी पर तैनात डा. बी चन्दन कहते है कि चने के सत्तू का सेवन हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। लेकिन जोडों के दर्द के रोगी को इसके सेवन से बचना चाहिए। अपनी गुणवत्ता तथा स्वास्थ्य वर्धक होने के कारण सत्तू बिना किसी प्रचार के पूर्वी क्षेत्र के देवरिया, गोरख्पुर, बस्ती, बलिया, गाजीपुर, सहित पूरे बिहार मे लोगों की खस पसन्द है। लेकिन गर्मी शुरू होते ही इंदारा, अदरी, पहसा आदि विभिन्न बाजारों में इनकी दुकाने सज गई है।
आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार चने का सत्तू गर्मी के मौसम में तापमान को नियंत्रित करने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है। जानकारों का कहना है कि सत्तू के सेवन से खासकर गर्मी के मौसम में पेट की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। चने से बनने वाला सत्तू के गुणकारी परिणाम से आज यह आम वर्ग के साथ सुविधा सम्पन्न लोगों की पहली पसन्द बनता जा रहा है। चने से बना सत्तू गर्मी से निजात दिलाने के साथ-साथ शरीर के लिए काफी लाभदायक है।
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