आफताब फारुकी/समर रुदौलवी
लखनऊ। केजीएमयू प्रशासन आतरिक चुनौतियों से निबटने में नाकाम साबित हो रहा है। ऐसे में उसने बेतुका फरमान जारी कर दिया है। आनन-फानन ट्रामा सेंटर में मंगलवार रात से स्टेचर पर भर्ती बंद कर दी गई है। ऐसे में दूर-दराज से आए गरीब मरीजों को बगैर इलाज लौटना पड़ा। मौखिक रूप से जारी किए गए आदेश की स्टाफ ने तो पुष्टि कर रहा है, मगर अफसर गोलमोल जवाब दे रहे हैं। हालाकि ट्रामा सेंटर के वार्ड स्थिति को बया कर रहे हैं।
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में करीब 390 बेड हैं। यह अक्सर फुल रहते हैं। ऐसे में विभिन्न विभागों में 150 के करीब मरीज स्टेचर पर भर्ती किए जाते हैं। यह स्टेचर वार्ड से लेकर यूनिट की गैलरी तक में डाले गए थे। इमरजेंसी में आने वाले मरीज को इन स्टेचरों पर पर इलाज मुहैया कराया जाता था। वहीं मरीज की स्थिति काबू में आने पर उन्हें विभाग में शिफ्ट कर दिया जाता था। मगर जूनियर डॉक्टरों की मारपीट की घटना के बाद मंगलवार को दिन में कुलपति कार्यालय में बैठक हुई। इस दौरान लगातार मरीजों के साथ हो रही लापरवाही के मामले में अफसरों ने नया तोड़ निकाला है। जूनियर डॉक्टरों को काम के बोझ से उबारने व सीनियर को वार्ड की ड्यूटी से बचाने के लिए मरीज की भर्ती पर ही अंकुश लगाने का विचार कर डाला। जानकारी के मुताबिक हाल में ही प्रशासनिक पद पर तैनात होने वाले डॉक्टर साहब ने ट्रामा में स्टेचर पर भर्ती बंद करने का मुद्दा उठाया,जिस पर सभी अफसरों ने हामी भर दी। ऐसे मे मंगलवार रात से स्टेचर पर भर्ती बंद कर दी गई। करीब 36 घटे से बतौर ट्रायन लागू किए गए इस नए नियम से डेढ़ सौ के करीब मरीज बगैर इलाज लौटाए जा चुके हैं।
30 मई को यहां नहीं रखे स्टेचर:
ट्रामा सेंटर में आथरेपैडिक विभाग, ट्रामा सर्जरी, जनरल सर्जरी, इमरजेंसी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, पीडियाटिक्स समेत सभी विभागों से स्ट्रेचर बुधवार को गायब थे। यहा सिर्फ बेडों पर ही मरीज भर्ती थे। वहीं गैलरी में सन्नाटा पसरा था। इसके अलावा न्यूरो सर्जरी वार्ड में पहले से बेड की जगह डाले गए स्टेचर ही पड़े थे, अतिरिक्त स्टेचर सभी हटा दिए गए।
वेट एंड वॉच के बाद जारी होगा लिखित आदेश:
दरअसल केजीएमयू प्रशासन ने अभी गुपचुप तरीके से यह नियम लागू किया है। वहीं अफसर वेट एंड वॉच के फॉमूले पर है। यदि स्टेचर पर भर्ती बंद होने के निर्णय पर कोई विरोध नहीं होता है तो इसके बाद पीजीआइ की तर्ज पर स्टेचर पर भर्ती बंद करने से लिखित आदेश जारी करेंगे।
दलालों का बढ़ा धंधा:
ट्रामा सेंटर में स्टेचर पर भर्ती बंद होने से निजी अस्पतालों के दलाल बुधवार को सक्त्रिय रहे। मरीजों के ट्रामा से निकलते ही वह उन्हें अपने झासे में लेकर बेहतर इलाज का हवाला देकर उन्हें निजी अस्पताल ले गए। दिनभर ट्रामा सेंटर के बाहर एंबुलेंस की लाइन लगी रही।
क्या कहते हैं केजीएमयू सीएमएस ?
केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शखवार का कहना है कि मंगलवार यानी 29 मई को बैठक में जूनियर डॉक्टर व अन्य डॉक्टरों ने स्टेचर पर मरीजों की भर्ती पर रोक लगाने संबंधी मुद्दा रखा था। कारण, मरीज अधिक होने से गुणवत्तापरक इलाज मुहैया कराने में दिक्कत आ रही है। ऐसे में आए दिन डॉक्टर व तीमारदारों में झगड़ा हो रहा है। फिलहाल अभी इस पर विचार किया जा रहा है, नियम लागू नहीं किया गया।
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