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केरल में निपाह वायरस का आतंक, जाने क्या है निपाह वायरस, और क्या है बचाओ का तरीका

सिद्धार्थ शर्मा

केरल के कोझिकोड़ जिले में ‘निपाह वायरस'(Nipah Virus) ने आतंक मचा दिया है. यह एक तरह का दिमागी बुखार है और ताजा जानकारी के मुताबिक इसकी चपेट में आने से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक कमेटी बनाई है जो बीमारी की तह तक जाने में जुटी है. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये निपाह वायरस है क्‍या? यह कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

क्‍या है निपाह वायरस ? 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है. इस वायरस का मुख्‍य स्रोत Fruit Bat यानी कि वैसे चमगादड़ हैं जो फल खाते हैं. ऐसे चमगादड़ों को Flying Fox के नाम से भी जाना जाता है.

कहां से आया निपाह वायरस ?

इस वायरस की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेश‍िया के Kampung Sungai के निपाह इलाके में हुई थी. उस वक्‍त वहां दिमागी बुखार का संक्रमण था. यह बीमारी चमगादड़ों से इंसानों और जानवरों तक में फैल गई. इस बीमारी की चपेट में आने वाले ज्‍यादातर लोग सुअर पालन केंद्र में काम करते थे. यह वायरस ऐसे फलों से इंसानों तक पहुंच सकता है जो चमगादड़ों के संपर्क में आए हों. यह संक्रमित इंसान से स्‍वस्‍थ मनुष्‍य तक बड़ी आसानी से फैल सकता है.

इसके बाद 2001 में बांग्‍लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए. उस वक्‍त वहां के कुछ लोगों ने चमगादड़ों के संपर्क वाले खजूर खा लिए थे और फिर यह वायरस फैल गया.

निपाह वायरस के लक्षण क्‍या हैं ? 

निपाह वायरस के लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं. बीमारी की शुरुआत सांस लेने में दिक्‍कत, भयानक सिर दर्द और फिर बुखार से होती है है. इसके बाद दिमागी बुखार आता है.

सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है.

5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.

ये लक्षण 24-48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं. इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे. अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे.

कैसे फैलता है निपाह वायरस ?

आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है.

मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.

संक्रमित चमगादड़ों, संक्रमित सुअर या संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से निपाह वायरस फैलता है.

निपाह वायरस का इलाज क्‍या है ?

अब तक निपाह वायरस का कोई वैक्‍सीन नहीं बन पाया है. इस वायरस का एकमात्र इलाज यही है कि संक्रमित व्‍यक्ति को डॉक्‍टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाता है.

क्‍या सावधानी बरतनी चाहिए ?

चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं. खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें. इसके अलावा संक्रमित सुअर और इंसानों के संपर्क में न आएं. जिन इलाकों में निपाह वायरस फैल गया है वहां जाने से बचें.

pnn24.in

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