संजय ठाकुर
मधुबन/मऊ : रमज़ान शरीफ का महीना मुकम्मल तौर पर रहमत व बरकत का महीना है अल्लाह ताला ने खुबसुरत खुशगवार रूहानी और इरफानी माहौल बख्शा है इस माह में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर शवाब कमाना व अल्लाह कि इबादत कर सारे गुनाहों से तौबा कर अपनी आकबत को बना लेते है और जिंदगी भर के लिये मुंतकी व जन्नती बन जाते है
यह बातें मौलाना लईक अहमद ढ़िलई फिरोज़ पुरी ने फरमाते हुए कहा मौलाना ने कहा कि रोजे रखने में हिम्मत बढ़ने के साथ फायदे भी होते है रोजा रखने का मतलब सिर्फ भुखे रहना नही है अगर बंदा रोजा रखते हुए झोठ बोले और बुराइयों से बाज़ न आए तो उस बंदे कि अल्लाह ताला के यहां कोई अहमियत नही है रोजे कि फजीलत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ताला ने जन्नत के लिये एक ऐसा दरवाज़ा बनाया है कि उस मे सिर्फ व सिर्फ रोजदार ही जासकते है अल्लाह ताला फ़रमाता है कि रोजा मेरे लिये है रोजा एक ऐसी इबादत हैं जिस के बदले में मैं रोजदारों को ऐसा अज्र दुगा कि कोई इस का अंदाज़ा भी नही लगा पाएगा।
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