अनन्त कुशवाहा
अम्बेडकरनगर। मम्मा मुझे स्कूल नहीं जाना है। कल से जाऊंगा। आज जाने का मन नहीं है। माता पिता द्वारा मनाने पर कुछ बच्चे राजी हो गए, तो कुछ बड़े उत्साह के साथ स्कूल पहुंचे। अधिकांश बच्चों को लेने के लिए स्कूल का वाहन आया। वहीं पहली बार स्कूल जा रहे बच्चों को छोड़ने के लिए माता पिता स्वयं पहुंचे। गर्मी की छुट्टियां खत्म होने के साथ शहर के निजी स्कूल खुल गए। पहला दिन होने के कारण स्कूल प्रबंधन ने अलग अलग तरीके से बच्चों का स्वागत किया। कुछ ने वेलकम पोस्टर लगाकर, तो कुछ ने रंगोली बनाकर।
बच्चों के उत्साह को बनाए रखने के लिए पढ़ाई कम एवं खेलकूद पर अधिक ध्यान दिया। पहले दिन पहली बार दाखिला लेने वाले बच्चों के चेहरे पर मायूसी भी नजर आई। जैसे ही स्कूल की छुट्टी हुई चेहरे पर खुशी छा गई। प्रमुख स्कूलों ने पहले दिन बच्चों के साथ उनके अभिभावक को भी बुलाया था ताकि बच्चों के बारे में अच्छे से जानकारी मिल सके। छात्र छात्राओं ने एक दूसरे से दोस्ती की। स्कूल शिक्षकों ने छात्रों का परिचय कराया। सोमवार को स्कूल खुलने के कारण बच्चों ने रविवार को बैग, होमवर्क की सारी तैयारी पूर्ण कर ली। बीते सोमवार को स्कूल खुलने के बाद दिनचर्या बदल जाएगी, क्योंकि छुट्टियों के दौरान हमारे पास उबाऊ दिनचर्या नहीं होती थी। बच्चों को अब फिर से सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
ड़ेढ महिनें की छुट्टी को बच्चों के साथ-साथ माता-पिता ने भी उत्साह और मनोरंजन के साथ बिताया। गर्मी की छुट्टियां रोमांचक गतिविधियों और ऊर्जा से भरे हमारे मन को और अधिक उत्साहित कर देती हैं। बचपन से बड़े होने तक छुट्टियों को लेकर हमारे मन में बहुत उत्साह रहता है। किसी को नानी के घर घूमना तो किसी को दादा-दादी के घर या फिर हिल-स्टेशन पर जाना।