तारिक आज़मी.
वाराणसी. शहर में झोलाछाप डाक्टरों की बाढ़ सी आ गई है. इसमें सबसे अधिक अगर कोई चांदी काटरहा है तो वह है चर्म रोग विभाग, इस क्षेत्र में महारत रखने वालो को पैसो की कमी नहीं रहती है और न ही मरीजों की कमी रहती है. खुद को सुन्दर दिखाने की चाहत रखने वाले नवयुवक एवं नवयुवतिया इनके यहाँ घंटो नंबर लगा कर बैठते है और एक मोटी फीस लेकर डाक्टर साहब इनके रंग को साफ़ करने के लिए दवाये लिखते है, अधिकतर डाक्टर के यहाँ दवा भी उनके खुद के स्टाफ बेचते है और बिल तो साहब देना इनके लिए पाप होता है. यानि पहले फीस फिर उसके बाद दवाओ की प्राफिट भी. इसी पैसो की चमक देख कर असली चिकित्सको के साथ कुछ फर्जी भी अपनी दुकानदारी चलाने लग गये है इनको हम वैसे तो झोलाछाप डाक्टर कहते है.
मौजूदा मामला बिशेश्वरगंज स्थित हरतीरथ इलाके में डाक्टर विशाल मलिक का है. दावो के अनुसार विशाल मलिक जार्जिया से मेडिकल स्नातक की डिग्री पास करके लेकर आये है और अपने पिता के सी मलिक के साथ प्रैक्टिस करते है. चर्चाओं को अगर आधार माने तो इसके अलावा डाक्टर विशाल मलिक बड़ी बाज़ार स्थित बुनकर अस्पताल में भी अपनी सेवाये दे रहे है. इनके नाम का बोर्ड भी इनके घर और अस्पताल में लगा हुआ था.
जानकारों के अनुसार जार्जिया से डिग्री लेकर भारत में प्रैक्टिस करने हेतु MCI और FMG की परीक्षा पास होना ज़रूरी होता है.मगर विशाल मलिक इन परीक्षाओ को पास नहीं किये है. यही नहीं गोपनीय सूत्रों से प्राप्त खबरों के अनुसारी जाँच टीम ने स्पष्ट किया है कि विशाल मलिक प्रमाणपत्रो के अभाव में प्रैक्टिस नहीं कर सकते है मगर फिर भी विशाल मलिक यहाँ प्रैक्टिस करते है और जमकर मलाई काट रहे है. मामले की जाँच को लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी अभी तक विशाल मलिक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करने के कारण मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की कार्यशैली भी प्रश्नों के घेरे में है. वही डॉ विशाल मलिक की दुकानदारी आज भी बदस्तूर जारी है.
नोट – साक्ष्य सुरक्षित है और समय पड़ने पर इसको प्रस्तुत किया जा सकता है,
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