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कांग्रेस के पुर्व सांसद और प्रदेश उपाध्यक्ष ने किया 25 साल पुराने कार्यकर्ता का भरी महफ़िल अपमान

तारिक आज़मी 

वाराणसी. देश में राहुल गाँधी जहा अपने अथक प्रयास से कांग्रेस को पुनर्जन्म देने में लगे है वही कांगेस के वरिष्ठो की हालत ये है कि घमंड से लबरेज़ खुद को ही शासक समझ कर आम कार्यकर्ताओ का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. भले ही उनके नेतृत्व में कांग्रेस आज तक प्रदेश में कोई सफलता नहीं पा सकी है मगर उनकी हालात ये है कि पुराने दिग्गज कांग्रेसियों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है.

मौजूदा घटना भी कुछ इसी प्रकार है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को जो उस समय से कांग्रेस की नैया पर सवार है जब कांग्रेस का प्रदेश में लोग नाम लेना भी पसंद नहीं कर रहे थे यानि 1993 से सदस्य है और 1995 से सक्रिय सदस्य है का अपमान भारी महफ़िल में कर दिया. इसमें एक बड़ी वजह और भी विरोधी बता रहे है कि वह कार्यकर्ता पिछड़ी जाती का है, वैसे भी कांग्रेस के सक्रिय सदस्यों की संख्या शहर में कितनी है इसको कांग्रेसी भली भाति जानते है मगर उसके बाद भी इस प्रकार से पिछड़े वर्ग से आने वाले इस कार्यकर्ता का अपमान करके शायद कांग्रेस ने अपना नुक्सान ही किया है. वही यह खबर सोशल मीडिया पर आने के बाद मामले ने तुल पकड़ा है और विरोधियो को मुखर होने का मौका मिल गया है.

अमूमन देखने को मिलता है कि शहर में कांग्रेस दो हिस्सों में तकसीम नज़र आती है, इस दो हिस्सों के कारण कांग्रेस को पहले भी काफी नुक्सान उठाना पड़ा है और विधानसभा चुनावों में दक्षिणी सीट पर हार कांग्रेस के इसी गुटबाजी का नतीजा समझ आ रही है. घटना कुछ इस प्रकार हुई कि कांग्रेस के एम्एलसी दीपक सिंह के साथ शहर स्थानीय का एक वरिष्ठ कार्यकर्ता पुर्व सांसद और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्रा से मुलाकात करने के लिये गया था. आम जन के बीच अपने आवास पर बैठे राजेश मिश्रा के सामने पड़े सोफे पर एम्एलसी और दुसरे पर वह कार्यकर्ता बैठ गया. कुछ समय बीतने के बात राजेश मिश्रा जब दीपक सिंह से रूबरू हुवे तो अपने एक शिष्य को आवाज़ देकर बुलाया और पहले से बैठे उस पिछड़ी जाति के कार्यकर्ता को उठ कर उस नवागंतुक कार्यकर्ता को बैठने के लिये कहा.

प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि इस अपमान से लज्जित होकर आँखों में आंसू लिये वह कार्यकर्ता पार्टी को दिए अपने जीवन के 25 सालो का ऐसा फल पाकर वापस उनके आवास से चला आया. शायद उसके दिलो दिमाग में रहा होगा कि बड़े बे आबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले. कार्यकर्ता ने हमसे फोन पर बात करते हुवे बताया कि शायद 25 साल पार्टी की सेवा करने का यह फल रहा है कि बीच महफ़िल मुझको अपमानित होना पड़ा, या फिर डॉ साहब ने मुझ पिछड़ी जाति के कार्यकर्ता का अपमान करके उस स्वर्ण जाती के कार्यकर्ता का मनोबल बढाया है.

जो भी हो इस प्रकार की घटनाये जिले में कही न कही से भाजपा के लिये फायदेमंद और कांग्रेस के लिये  नुकसानदेह साबित हो रही है. वही पीड़ित कार्यकर्ता ने पार्टी के बड़े पदाधिकारियों को इस घटना की सुचना देने के बाद अपने दिल का दर्द सोशल मीडिया पर झलकाया है. यही नहीं उसके दर्द की दास्तान सुनकर अन्य कार्यकर्ताओ ने उसको हौसला दिलाया और पुर्व सांसद को ही भला बुरा कह रहे है

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