गाजियाबाद। लोनी हरिद्वार से जल लेकर आने वाले शिवभक्त कावड़ियों की भीड़ अब जहां क्षेत्र में आयोजित शिविरों से लगभग सिमट सी गई है। वही उनकी भारी भीड़ अब क्षेत्रीय शिवालयों में पहुंच रही है। और वहां अपनी हाजिरी के बाद त्रयोदशी का जल अभिषेक करने में लगे हैं। जो महाशिवरात्रि(चौदस) का जलाभिषेक करने के पश्चात वहां से अपने-अपने गंतव्य पर लौट जाएंगे। मंदिरों में जलाभिषेक के लिए वहां जमा शिवभक्त कावड़ियों के लिए श्रद्धालुओं द्वारा उनके ठहरने व खाने-पीने आदि की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अतिरिक्त मंदिरों में शिवलिंग पर लगाए जाने वाले भोग व अन्य दूध दही शहद आदि पूजा सामग्री बेचने वालों की भी वहां कोई नजर नहीं आ रही थी। जो चौदस का व्रत करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक विशेष महत्व रखता है।
पंडितों अनुसार गुरुवार रात लगभग 10:30 चौदस का जल अभिषेक विधिवत पूजा-अर्चना के साथ प्रारंभ हो जाएगा। जिसके मद्देनजर हरिद्वार आदि से जल लेकर आने वाले लगभग 95 प्रतिशत कावड़िया अब अपने निश्चित शिवालयों (मंदिरों) में पहुंच चुके हैं। जिनमें बात क्षेत्र के मुख्य मंदिरों की करें तो गुलाब वाटिका स्थित प्राचीन शिव मंदिर व लोनी तिराहे पर स्थित शिव मंदिर शामिल है। जहां जलाभिषेक के लिए पहुंचने वाले शिव भक्त कावड़िया एक बड़ी संख्या में पहुंच चुके हैं। वहां चारों ओर विभिन्न आयोजन जैसे यज्ञ, भजन-कीर्तन व ढोल की थाप पर थिरकने के अलावा कावड़ियों द्वारा लगाए जा रहे बम-बम भोले के जयकारों के साथ- साथ अन्य सैकड़ों श्रद्धालुओं की आवाज से तमाम मंदिर परिसर गूंजता हुआ नजर आया। जहां के माहौल को देखकर लगता था मानो सब कुछ शिवमय हो गया हो
रात्रि 10:30 बजे होगा चौदस का जलाभिषेक
मंदिर के पंडितों के अनुसार रात्रि 10:30 बजे पूजा-अर्चना व मंत्र उच्चारण के साथ जल अभिषेक का श्रीगणेश होगा। जहां व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी बारी-बारी से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना के बाद अपने-अपने गंतव्य पर लौटते रहेंगे। इससे पूर्व मंदिर में पहुंचे शिव भक्तों की सुविधा के लिए वहां हर प्रकार की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया है। जो चौदस से पूर्व त्रयोदशी का जलाभिषेक कर भोले का आशीर्वाद पा सके।
श्रद्धालुओं ने रखा उपवास
हिंदू धार्मिक त्योहारों में अपना एक विशेष ध्यान रखने वाले महाशिवरात्रि पर्व पर अधिकांश श्रद्धालु भक्त भोले के नाम से उपवास रखते हैं। जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक होती है। यही कारण था कि मंदिरों में पहुंचे शिवभक्त कांवरियों के साथ-साथ उतनी ही संख्या में वहां भोले के नाम से उपवास रख वहां जल अभिषेक करने वाले अन्य श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी।
भोले के पसंदीदा भोग की सजी थी दुकानें
मान्यतानुसार भोले के प्रिय माने जाने वाले भांग, धतूरा व पुष्पमाला आदि बिक्री करने वाले दुकानदारों की भी वहां कोई कमी नहीं थी। ताकि श्रद्धालुओं को उसकी व्यवस्था करने में कोई परेशानी ना उठानी पड़े। ऐसी अधिकांश दुकाने मंदिरों के आस-पास ही सजी थी जहां पूजा के लिए सभी प्रकार की सामग्री खरीदने वाले श्रद्धालु का ताता लगा था।
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