आदिल अहमद
सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान के निकट समझे जाने वाले एक वहाबी मुफ़्ती ने सऊदी धर्मगुरूओं से अधिक से अधिक इस्राईल की यात्रा करने की अपील की है।
सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री एवं मुस्लिम वर्ल्ड लीग के प्रमुख मुफ़्ती मोहम्मद बिन अब्दुल करीम ईसा ने न्यूयॉर्क में विवादास्पद अपील करते हुए कहा है कि सऊदी धर्मगुरूओं को यरूशलम की अधिक से अधिक यात्राएं करनी चाहएं, ताकि इस्राईल के साथ शांति को बढ़ावा दिया जा सके।
ग़ौरतलब है कि विश्व भर के मुसलमानों के दबाव के कारण, सऊदी सरकार इस्राईल को औपचारिकता प्रदान नहीं करती है, इसके बावजूद सऊदी अरब और इस्राईल के ख़ुफ़िया संबंध अब किसी से छिपे नहीं हैं और उच्च सऊदी अधिकारी इस्राईल की यात्राएं भी कर रहे हैं।
दुनिया भर में आतंकवाद एवं कट्टरवाद निर्यात करने वाले सऊदी अरब के वहाबी मुफ़्ती अचानक क्यों इस्राईल के साथ शांति और दोस्ती की बात करने लगे हैं, यह बात लोगों को कुछ हज़्म नहीं हो रही है।
सऊदी अरब, इस्राईल की ओर दोस्ती का हाथ ऐसी स्थिति में बढ़ा रहा है, जब वह ईरान समेत अपने पड़ोसी देशों की दुश्मनी पर तुला हुआ है।
सऊदी अरब ने क़तर की घेराबंदी कर रखी है, यमन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा हुआ है और सीरिया एवं इराक़ में दाइश समेत तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों का समर्थन करता रहा है।
सऊदी वहाबी मुफ़्ती ईसा का कहना था कि हमें शांति का संदेश लेकर एक ऐसा प्रतिनिधिंडल बैतुल मुक़द्दस भेजना चाहिए जिसमें तीनों प्रमुख धर्मों, इस्लाम, ईसाई और यहूदियों के सदस्य शामिल हों।
दिलचस्प बात तो यह है कि मुसलमानों का नेतृत्व करने का दावा करने वाला सऊदी अरब, जहां दुनिया भर विशेषकर मध्यपूर्व के देशों में आतंकवाद एवं चरमपंथ का समर्थन करता है, वहीं वह इस्राईल के अत्याचारों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध करने वाले फ़िलिस्तीनी एवं लेबनानी संगठनों का विरोध करता है।
हालांकि इस्राईल के सबसे बड़े समर्थक अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सऊदी अरब के शासक किंग सलमान का अपमान करते हुए कहा था कि अगर अमरीका, उनका समर्थन करना बंद कर दे तो वह 2 हफ़्ते भी सत्ता में नहीं टिक पायेंगे।
अमरीकी अधिकारियों की ओर से लगातार अपमानजनक व्यवहार के बावजूद, आले सऊद शासन सत्ता में बने रहने के लिए देश के प्राकृतिक स्रोतों को लुटाने समेत कुछ भी करने और किसी भी तरह का अपमान सहने के लिए तैयार है।
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