Categories: MorbatiyanSpecial

दालमंडी – पहलवानी के वर्चस्व से लेकर अपराध के आतंक तक – भाग 9, जाने क्या है मतलब पानसौवा का

तारिक आज़मी।

दालमंडी में बदलाव की बयार तेज़ हो चुकी थी। आम कारोबार के साथ अब दालमंडी अवैध कामो का अड्डा बनता जा रहा था। सबसे पहले अवैध कारोबार था नकली सीडी का। इंडिया से लेकर पकिस्तान और हालीवुड तक की फिल्मो की सीडी बहुत ही सस्ते दामो में इस इलाके में उपलब्ध हो जाती थी। इस सीडी के कारोबार को कई सफ़ेदपोशो का संरक्षण हासिल था। इस संरक्षण पर अगर गौर किया जाए तो आज भी इस क्षेत्र के अवैध कारोबारों को इन सफ़ेदपोशो का संरक्षण हासिल है।

सीडी के कारोबार में अवैध कामो के करने में महारत रखने वाले इन कारोबारियों ने नकली नोटों का सिलसिला भी चालु किया। एक तरफ नकली सीडी के कारोबार की कमर टूट रही थी तो दूसरी तरफ इन अवैध कारोबारियों को अपने कारोबार की फिक्र सताने लगती थी। खुद की बादशाहत कायम रखने के लिये इनको अपनी नाम के साथ रोकडा भी चाहिये था। और साफ़ सुथरे कारोबार से ऐसे खर्च पोसा नही पाते तो कही न कही से इनको अवैध कारोबारों से भी पैसे खीचते रहते है। इसी बयार में सीडी के कारोबार को सबसे अधिक चोट दिया चायना के नकली मोबाइल ने। क्षेत्र नकली मोबाइल का अड्डा बन गया और जमकर कारोबार शुरू हो गया। नकली सीडी और कथित चाईना के मोबाइल के बीच फंसे क्षेत्र के सीधे साधे कारोबारी अपनी हाफ्ती सासों को संभालने में लगे थे।

एक पेचीदा दलीलों जैसी गलियों ने इनको संरक्षण दे रखा था और जब भी पुलिस की कोई बड़ी कार्यवाही होती तो इन्ही पेचीदा दलीलों जैसी गलियों का सहारा लेकर ये अवैध कारोबारी इस पार से उस पार हो जा रहे थे। पुलिस भी परेशान और आम नागरिको को भी परेशानी। चौक से घुसते साथ ही नकली सीडी और नकली कारोबार का जखीरा शुरू हो जा रहा था। कंपनिया मोबाइल बाद में बनाती थी और उसका नकली प्रोडक्ट पहले से इस मार्किट में आ जाता था। इस नकली कामो के बीच एक और काम ने अपने पाँव पसार लिये जो था नकली नोटों का कारोबार। चीन के माल के साथ नकली नोटों के कारोबार करने वाले लोगो से भले क्षेत्रीय जनता अलर्ट रहती थी मगर ग्राहक जो बाहर से आते थे उनका क्या ? वह तो नकली नोटों को असली समझ लेकर चले जाते थे।

खुद को बादशाहत का खिताब नवाज़ चुके लोगो से लेकर गोदो में खेलने वाले बबलू पप्पू जैसे नामो का इस कारोबार से नाता हो चूका था। हालत ऐसी थी कि लोगो ने कई नामो का सम्बोधन ही उनके कारोबार से जोड़ दिया। नाम भी अवैध कारोबार करने वालो के ऐसे थे जो एक ही मोहल्ले में दस बारह मिल जाए। भाई आप खुद सोचे अगर आप अपने मोहल्ले के पप्पू, मुन्ना और बबलू जैसे नामो को खोजना शुरू करेगे तो दस बारह एक नाम के ही मिल जायेगे। अपने समय के यह चर्चित नाम और भी चर्चा में रहते है। इन नामो के साथ कारोबार भी अगर जुड़ जाए तो पहचान आसन हो जाती है। काले लिबास काले काम से मशहूर तो कई ऐसे भी है जो कभी पानसौवा नाम से जाने जाते थे मगर वक्त की बलिहारी है कि आज उनकी गिनती सफेदपोशो में होने लगती है। इन सफ़ेदपोश में कुछ ऐसे भी है जो अपने नाम के आगे आज से दस पंद्रह वर्षो पहले तक पानसौवा का ठप्पा लगा के बैठे थे।

इस पानसौवा का मतलब नकली नोटों से होता था। बहुत गहरे जाकर अगर इसके सम्बन्ध में पड़ताल करे तो आज भी उन लोगो का कम्बल के नीचे का कारोबार कुछ ऐसा ही है और उस कारोबार के काले धन को सफेदी की चमकार में बदलने के लिए सामने कोई और कारोबार है। सफ़ेद कुर्ता अथवा सफ़ेद शर्ट अगर इंसान के सफाई की अलामद में गिना जायेगा तो देखा गया है कि तस्वीरों में दाऊद इब्राहीम जैसा खुख्वार आतंकी भी अधिकतर सफ़ेद शर्ट में और हाजी मस्तान जैसा तस्कर भी सफ़ेद कपडे पहनता था। वही अगर ध्यान दे तो अंतर्राष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद भी तो सफ़ेद कपड़ो में ही दिखाई देता है। खैर साहब ये तो कहने सुनने की बात है कि सफ़ेद कारोबार तो सफ़ेद कपडे मगर हकीकत धरातल पर कुछ उलटी ही है। ज़िन्दगी भर काले कारोबार करने के बाद इंसान अगर तीर्थ कर ले तो वह पाप मुक्त हो जाए यह कोई ज़रूरी तो नही है।

बहरहाल ये तो प्रशासन के जाँच का विषय है मगर इस नकली नोटों के कारोबार में कई लोगो ने दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की किया। इसमें कमाई भी काली ही सही मगर चमकदार थी। क्षेत्र में भले इस कारोबार को केवल चंद चुनिन्दा लोगो के द्वारा ही किया जाता था। मगर काम में वो भी कही न कही से शामिल हो गये थे जो रोज़ कुआ खोद कर रोज़ पानी पीने वाले अति गरीब श्रेणी के लोग थे। प्रशासन तो केवल इस नाम के साथ लगे उप नाम पानसौवा को ही लेकर परेशान रहती थी और कही न कही आज भी परेशान है कि आखिर इस कोड को डी-कोड कैसे करे फिर कार्यवाही के लिये तो मज़बूरी है कि सबूत भी चाहिये। दूसरी तरफ स्थिति कुछ ऐसी है कि पुलिस जब कार्यवाही के लिये निकले उसके पहले ही पेचीदा गलिया में खुद को ये कारोबारी लापता कर लेते है। वैसे भी कल तक पुलिस की शक्ल देख कर मशहूर तंग गलियों में निकल जाने वाले अब सफ़ेद कुर्तो अथवा सफ़ेद शर्ट में थाने में बैठ कर मामले सुलझाने लगे है। कई तो बनारस में सफ़ेदपोश ऐसे है कि जिस थानों में बैठ कर वह कभी उकडू फोटो खिचवा चुके थे और आज भी हिष्ट्रीशीट में उनके नाम शोभा बढ़ा रहे है। उसी थानो में वह बैठ कर अब मामलो को हल करवा रहे है और सामने अपने नाम को देख कर मुस्कुराते हुवे कहते है कि ये राजनितिक दुश्मनों ने चढवा दिया है।

अगले भाग में हम आपको बतायेगे कैसे करोडो का मकान कौड़ियो के दाम ख़रीदा और किस माफिया का साथ लेकर खाली करवा कर आज बड़े बिल्डर में गिने जाते है लोग। जुड़े रहे हमारे साथ और देखते रहे pnn24 न्यूज़, (खबर वही, जो हो सही।) हम साप्ताहिक अखबार पाईन्द निजाज़ न्यूज़ के रूप में आपके शहर में हर शुक्रवार को आते है। जुड़े रहे हमारे साथ। हमारी कोशिश, आपका साथ, ताकि सच जिंदा रहे।

pnn24.in

Recent Posts

जर्मनी के अधिकारियों ने कहा ‘रूस का ‘शैडो फ़्लीट’ हमारे जलक्षेत्र में फंसा हुआ है’

फारुख हुसैन डेस्क: जर्मनी के अधिकारियों ने कहा है कि एक तेल टैंकर जर्मनी के…

1 hour ago

झारखण्ड के धनबाद में एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल पर छात्राओं की शर्ट उतरवाने के आरोप पर जिला प्रशासन ने दिया जाँच के आदेश

तारिक खान डेस्क: झारखंड के धनबाद में एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल के आदेश के…

1 hour ago

ट्रंप के शपथग्रहण में शामिल होंगे विदेश मंत्री एस0 जयशंकर

आफताब फारुकी डेस्क: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत…

1 hour ago

हिंदल वली ख्वाजा गरीब नवाज़ के आस्ताने पर सपा नेता आदिल खान और कमर आज़मी ने पेश किया चांदी का ताज

शफी उस्मानी डेस्क: हिंदल वली गरीब नवाज़ ख्वाजा मोइंनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही के उर्स मुबारक…

19 hours ago